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दिल्ली : कम सैलरी के कारण कुंआरे हैं AAP के विधायक, वेतन बढ़ाने की लगाई गुहार

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान विधायकों का वेतनबढ़ाने का मुद्दा गूंजा. हर मुद्दे पर विरोध करने वाले विपक्षी विधायक भी इस मुद्दे में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के साथ सुर मिलाते नजर आए. करोल बाग के विधायक विशेष रवि ने सदन में मुद्दा उठाया कि दिल्ली के विधायकों को देश के अन्य विधायकों से कम वेतन मिल रहा है और कम वेतन के कारण ना केवल विधायकों को अपना घर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि कम सेलरी के कारण कई विधायकों की शादी तक नहीं हो पा रही है.

विशेष रवि ने ज़ी न्यूज को बताया कि दिल्ली में विधायकों को इस समय 12 हजार रुपये वेतन और भत्ते आदि मिलाकर 53,500 रुपये मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसी भत्ते में ऑफिस का खर्च, विधानसभा में घूमने-फिरने, जो लोग उनसे मिलने आते हैं उन पर होने वाला खर्च और टेलीफोन आदि सभी खर्चे शामिल हैं. उन्होंने बताया कि जनता की सेवा के लिए एक विधायक का भत्ते के अलावा उसके वेतन का बड़ा हिस्सा भी खर्च हो जाता है. इसके कारण उन्हें घर चलाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

विशेष रवि ने बताया कि विधानसभा में 3-4 विधायक अभी कुंआरे हैं. कम वेतन के कारण उनकी शादी भी नहीं हो पा रही है. इसके अलावा जो शादी-शुदा हैं उन्हें घर चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि दो माह पहले ही वह पिता बने हैं. अब परिवार बढ़ रहा है और परिवार की जरूरतें भी बढ़ रही हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने तो अपनी इच्छाओं को दबा लिया, लेकिन बच्चों की जरूरतों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.

करोल बाग के विधायक ने बताया कि दिल्ली में न्यूनत मजदूरी 14,000 रुपये है, और विधायकों को मजदूरों से भी कम वेतन मिल रहा है.

5 सदस्यों की बनाई कमेटी
वेतन बढ़ाने की विशेष रवि की मांग का सदन में मौजूद सभी विधायकों ने समर्थन किया. उनकी मांग पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में विपक्ष के दो विधायक भी शामिल हैं. यह कमेटी वेतन बढ़ाने की मांग का एक प्रस्ताव लेकर गृहमंत्री से मुलाकात करेगी.

2016 में बनाई थी कमेटी
दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाने के लिए दिसंबर, 2015 में एक प्रस्ताव भी पेश किया गया था. इसके लिए 2016 में एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने देश की अन्य विधानसभाओं में विधायकों को मिल रहे वेतन का आकलन कर नए वेतन का एक प्रस्ताव बनाया था. कमेटी ने 50,000 रुपये वेतन तथा भत्तों के लिए 2 लाख रुपये की सिफारिश की थी. इस प्रस्ताव को गृह मंत्रालय के पास भी भेजा था. विशेष रवि ने बताया कि केंद्र ने इस प्रस्ताव को ना तो मंजूर किया और ना ही खारिज किया है.

सांसदों का वेतन बढ़ाया
सांसदों का मूल वेतन (बेसिक पे) एक अप्रैल से दोगुना होकर एक लाख रुपये हो गया है. एक फरवरी को संसद में पेश किए गए वित्त विधेयक में सरकार ने प्रस्ताव किया था कि सांसदों का मूल वेतन मौजूदा 50,000 रुपया से बढ़ा कर एक लाख रुपये किया जाएगा. सदन ने इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी भी दे दी थी. जेटली ने कहा कि इस कानून के तहत मुद्रास्फीति के अनुरूप प्रत्येक पांच वर्ष में सांसदों के वेतन में स्वत: संशोधन हो जाएगा. वर्तमान में, किसी सांसद के पारिश्रमिक में प्रतिमाह 50,000 रुपए का मूल वेतन, 45 हजार रुपया निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के अलावा अन्य सुविधाएं शामिल हैं. सरकार लगभग 2.7 लाख रुपए प्रतिमाह हर सांसद पर खर्च करती है. नए बदलावों के बाद अब सांसदों को 1.05 लाख रुपये की बजाए 2.20 लाख रुपये मिलेंगे. इसमें वेतन (1 लाख), निर्वाचन क्षेत्र (70 हज़ार), सचिवालय भत्तों (60 हज़ार) शामिल हैं.