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इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की ‘ःविरासत कर’ पर टिप्पणी ने राजनीतिक क्षेत्र में खड़ा किया विवाद, जाने क्यों भड़की मायावती

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की ‘विरासत कर’ पर टिप्पणी ने राजनीतिक क्षेत्र में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी के अन्य नेताओं द्वारा बहुचर्चित ‘विवादास्पद’ बयान पर प्रतिक्रिया देने के बाद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी कांग्रेस पार्टी पर जमकर बरसीं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता द्वारा विरासत कर का विचार और वकालत राजनीति से प्रेरित कदम है और इसका मतलब गरीबों का कल्याण नहीं है।

मायावती ने एक्स पोस्ट में लिखा किकांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भारत में धन के वितरण की आड़ में, अमेरिका की तरह, निजी सम्पत्ति पर ’विरासत टैक्स’ की सोच व उसकी पैरवी गरीबों की भलाई का कम व राजनीति से प्रेरित इनकी ’गरीबी हटाओ’ की चर्चित विफलता पर से लोगों का ध्यान बांटने का चुनावी प्रयास ज्यादा लगता है। उन्होंने आगे लिखा कि जहाँ तक भारत में सम्पत्ति व सरकारी भूमि वितरण आदि से जुड़े मामलों में दलितों व वंचितों के लिए न्याय का सवाल है तो इनकी सरकारों की सही नीयत के अभाव के कारण यहाँ गरीबी, पिछड़ापन, पलायन की विवशता अदि दूर नहीं हो पायी। कांग्रेस को उसकी ऐसी दाग़दार विरासत से मुक्ति मुश्किल।

सैम पित्रोदा ने क्या कहा?

सैम पित्रोदा ने अमेरिका के ‘विरासत कर’ वाली व्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा है, ‘‘अमेरिका में विरासत कर लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है और जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसमें से केवल 45 फीसदी उसके बच्चों को मिल सकता है। शेष 55 प्रतिशत संपत्ति सरकार के पास चली जाती है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘ भारत में ऐसा कानून नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता…लोगों को इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करनी होगी। मुझे नहीं पता कि अंत में निष्कर्ष क्या होगा, लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं जो लोगों के हित में हैं, न कि केवल अति-अमीरों के हित में हैं।