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‘मजदूरों का सिर्फ दोहन कर रही मोदी सरकार’

resizemode02इलाहाबाद। ‘देश में बढ़ रहे आर्थिक और कृषि संकट के लिए जनविरोधी नीतियां जिम्मेदार हैं। कृषि संकट के चलते लाखों छोटे सीमांत और भूमिहीन किसान परिवार तबाह हो रहे हैं। किसान शहरों में पलायन करने को मजबूर हैं, जहां वे निर्माण स्थलों या औद्योगिक इलाकों में अमानवीय परिस्थितियों में काम करते हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार इस वर्ग की ओर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार की मंशा सिर्फ मजदूरों के दोहन से जुड़ी है।’ ये बातें आईएफटीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अध्यक्ष और ट्रेड यूनियन और महिला आन्दोलन की नेता डॉ. अपर्णा ने शनिवार को आयोजित एआईकेएमएस के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में कहीं।

सम्मेलन को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए उन्होंने मोदी सरकार पर ‘हायर एंड फायर’ की नीति को प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया और कहा कि, केंद्र सरकार भारतीय बाजार के विकास के लिए भारत के मजदूर और किसानों की आय व क्रय शक्ति बढ़ाने के प्रति नकारात्मक रवैया रखती है। उन्‍होंने कहा कि सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ की मुहिम और कुछ नहीं, सिर्फ विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए भारत के सस्ते श्रम, संसाधनों का सुलभ दोहन और विदेशी बाजार तक अपनी पहुंच बढ़ाने का एक जरिया है।

एआईकेएमएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सचिव डॉ. आशीष मित्तल ने आरएसएस और बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोग ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने के लिए दूसरों को मजबूर कर रहे हैं। तेलंगाना के क्रांतिकारी किसान नेता वी वेंकटरमैया (वी.वी) ने तेलंगाना और आंन्ध्र प्रदेश के आदिवासी किसानों के शोषण के खिलाफ कई दशकों से चल रहे गोदावरी घाटी प्रतिरोध संघर्ष की जानकारी दी।

रैली से हुई सम्मेलन की शुरूआत: अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत शनिवार को रैली से हुई। रैली में शामिल किसानों की भीड़ से कुछ घंटों के लिए शहर की सड़कों पर जाम की स्थिति पैदा हो गई। सम्मेलन में देश के कोने-कोने से लगभग 10,000 किसान और किसान नेता शामिल हो रहे हैं। संगठन का उत्तर प्रदेश में यह पहला राष्ट्रीय अधिवेशन है।