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इन्वेस्टर्स समिट तो अच्छा है सीएम साहब पर यूपी के उद्योगपतियों के बारे में भी कुछ सोचिये

राजेश श्रीवास्तव

कानपुर का लाल इमली
लखनऊ का स्कूटर इंडिया
गाजियाबाद की चेम्पो पल्प टिशू लिमिटेड
कानपुर की एल.कांत पेपर मिल्स 
शामली की शामली पेपर मिल्स लि.
शामली की सिक्का पेपर्स लि.
मुजफ्फरनगर की अरिहंत पल्प एंड पेपर्स लि.
मुजफ्फरनगर की बालाजी सेल्यूलुस प्रोडक्स लि.
मुजफ्फरनगर की एन.एस.पेपर्स लि.
मुजफ्फरनगर की रॉयल पेपर इंडिया
मुजफ्फरनगर की शालीमार क्राफ्ट एंड टिशूस प्रा.लि.
मुजफ्फरनगर की शालीमार पेपर्स मिल्स लि.
मुजफ्फरनगर की सीता पेपर मिल्स लि.
सहारनपुर की प्लाजा पेपर्स लि.
सीतापुर की जे.बी.दारूला पेपर
मुरादाबाद की हेमकुंड डुप्लेक्स एंड बोर्ड्स प्रा.लि.
मुरादाबाद की शाकुंबरी स्ट्रा प्रो.लि.
बुलंदशहर की ओटीआर प्रा.लि.

जी हां, मुख्यमंत्री जी, यह सूची उत्तर प्रदेश के उन उद्योगपतियों या घरानों की सूची है जो उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की राह पर चल रही थीं या यूं कहें कि इन नामी-गिरामी घरानों ने उत्तर प्रदेश के तमाम लोगों को रोजगार मुहैया करा रखा था।

ऐसा नहीं कि इन कंपनियों ने आपकी सरकार के कार्यकाल में दम तोड़ा। यह पहले ही बंद हो चुकी थीं। परंतु अब जब आप यूपी को विकास के पथ पर दौड़ाना चाहते हैं और इस दिशा में निरंतर अच्छे ढंग से आप काम भी कर रहे हैं तो फिर इन उद्योग घरानों के बारे में गंभीरता से विचार करिये क्योंकि यह ऐसे घराने हैं जिनको पूरा उत्तर प्रदेश जानता है और इनसे उत्तर प्रदेश की साख भी बनी है।

मुख्यमंत्री जी हम आपके इन्वेस्टर्स समिट पर कोई सवाल नहीं उठा रहे। निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के विकास के लिए यह एक अहम कदम है। इसकी जितनी भी सराहना की जाए वह कम है। उत्तर प्रदेश को पहली बार विकास के पथ पर इस ढंग से दौड़ाने वाला पहला मुख्यमंत्री लंबे समय बाद मिला है।

आपके इस कदम का अगर आधा फायदा भी मिल जाए तो वह उत्तर प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। अच्छा है कि देश और विदेश की तमाम कंपनियों उत्तर प्रदेश में निवेश करें तो उत्तर प्रदेश के लोगों को नौकरियों के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगा। लोगों को आप उनके घर में ही नौकरी उपलब्ध कराने में सक्षम रहेंगे साथ ही यूपी की आर्थिक गति भी बढ़ेगी।

लेकिन अगर एक बार अपने नौकरशाहों को बुलाकर वह सूची भी तलब करें जो पिछले 15-2० साल के दौरान दम तोड़ चुके हैं या फिर बंद होने के कगार पर हैं। इनकी बंदी के पीछे क्या कारण थे या यूं कहें कि यह किस साजिश का शिकार हो गये। इनको कारणों की तलाश कर इन्हें फिर से अगर शुरू किया जाए तो निश्चित रूप से यह भी उत्तर प्रदेश के विकास के लिए बेहद अहम कदम होगा।

अभी भी यदि किसी बुजुर्ग से सर्दी की बात की जाए तो वह लाल इमली को याद किये  बिना नहीं रह पायेगा। इसी तरह अभी भी सड़कों पर तमाम स्कूटर दौड़ती हुई दिख जाएंगी। उनको बनाने वाला स्कूटर इंडिया का भी अस्तित्व समाप्त हो चुका है। यदि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए तो उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश नहीं बल्कि सर्वोत्तम प्रदेश बनने से कोई नहीं रोक सकता।