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अरुणाचल: गवर्नर की रिपोर्ट जमा, सुनवाई 1 फरवरी को

scनई दिल्ली/ईटानगर। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणचाल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने पर गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने बुधवार दोपहर को इस मामले में हुई सुनवाई के बाद अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा के वकील से इसकी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने 15 मिनट के भीतर ई-मेल से राज्यपाल की रिपोर्ट मांगी है।

इस मामले में मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूरी दे दी थी। मुखर्जी ने राष्ट्रपति शासन लगाने से पहले गृहमंत्री से इस मामले की जानकारी मांगी थी। अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने विधायकों को आश्वासन दिया था कि उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। राज्यपाल ने मंगलवार शाम को हुई बैठक में मुख्य सचिव रमेश नेगी समेत अधिकारियों से कहा कि आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए कानून अक्षरश: लागू होने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के लिए दी गई रिपोर्ट और केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को चुनौती दी गई थी। ताजा याचिका पर भी पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ सुनवाई करेगी, जो अरुणाचल मुद्दे पर दायर विभिन्न याचिकाओं पर पहले से ही सुनवाई कर रही है।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं- फाली एस नरीमन और कपिल सिब्बल ने ताजा याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया था। पीठ ने इस बीच, अधिवक्ता से उन खामियों को जल्द से जल्द दुरुस्त करने को कहा जिनका उल्लेख शीर्ष न्यायालय की रजिस्टरी ने किया था। याचिका प्रदेश कांग्रेस के मुख्य सचेतक राजेश ताचो ने दायर की है।

कांग्रेस के 21 विधायकों की बगावत के बाद अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। इन विधायकों ने बीजेपी के 11 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों से हाथ मिला लिया था और एक अस्थाई सत्र में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया को कथित तौर पर पद से हटा दिया था। रेबिया ने इस कदम को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताया था।