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यूपी में जातीय समीकरण तोड़ना प्रशांत किशोर की चुनौती

pk14लखनऊ। यूपी कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ बैठक में पॉलिटिकल स्ट्रैटिजिस्ट प्रशांत किशोर ने बीजेपी को अहम मुकाबिल बताया था। इससे साफ है कि उनकी पहली स्ट्रैटिजी यूपी की सियासत को जातीय समीकरण से ऊपर उठाने की होगी। कारण, सियासत के जातीय समीकरण में उलझते ही, कांग्रेस को नुकसान शुरू हो जाएगा क्योंकि उसके पास किसी जाति का बेस वोटबैंक नहीं है। जबकि माना जाता रहा है कि पिछड़े एसपी के खाते में हैं और अतिपिछड़े बीएसपी के।
जानकारों के मुताबिक अगर कांग्रेस बीजेपी को अपने मुकाबिल ठहराती है तो इसका पहला फायदा मुस्लिम वोटरों के लिहाज से उसे होगा। बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को जीतता देखकर मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पाले में आ खड़ा होगा। यह फायदा बिहार चुनाव के दौरान कांग्रेस के महागठबंधन में शामिल होने से मिला था।

यही तरकीब इस बार भी दोहराई जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ जैसे ही एसपी या बीएसपी को फाइट में बताया जाएगा, समीकरण कांग्रेस के विपरीत जाने लगेंगे। मुस्लिम वोटर बीएसपी या एसपी में छिटक सकता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक प्रशांत किशोर की रणनीति का पहला स्टेप मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ एकजुट करना होगा।

केंद्र के कार्यकाल को बनाया जाएगा निशाना एसपी और बीएसपी को फाइट से बाहर बताकर कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी होगी। वह केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर रहेगी। प्रशांत के करीबी के मुताबिक प्रचार के दौरान यूपी को क्या मिला, नीतियों में खामियां, किस तरह से आम जनता से दूर हैं बीजेपी की नीतियां जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे।

यही कांग्रेस के हमले का अहम हिस्सा होगा। वहीं एसपी और बीएसपी की नीतियों को यूपी के विकास के आड़े बताकर उन्हें किनारे किया जाएगा। कांग्रेस पहले भी एसपी और बीएसपी को वर्ग विशेष की सरकार के तौर पर सामने रखकर हमलावर रही है।

सवर्ण कार्ड पर फोकस दिल्ली के बाद यूपी में हुई बैठक में हिस्सा लिए तमाम नेताओं ने यूपी में सवर्ण कार्ड खेलने पर जोर दिया है। कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने दिल्ली में हुई बैठक के दौरान कहा था कि यूपी में कांग्रेस और बीजेपी के पास कोई बेस वोटर नहीं है। सवर्ण को सियासत में उभारा नहीं जा रहा। वहीं लखनऊ में हुई बैठक के दौरान भी कई नेताओं ने यूपी में सवर्ण कार्ड खेलने पर जोर दिया है। जानकारों के मुताबिक जब तक कांग्रेस के पाले में सवर्ण रहा तब तक उसके पास सत्ता थी।