लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैडर की आइएएस अधिकारी बी.चन्द्रकला सिर्फ पांच साल में खेत, मकान की मालिक हो गयीं। उनकी नन्ही सी बेटी के नाम लखनऊ में 67 लाख की कीमत वाला एक फ्लैट भी हो गया। करीमनगर (आंध्र प्रदेश) में सिर्फ 4.39 लाख में खरीदे गये खेत से तीन लाख रुपए सालाना की आमदनी हो रही है। दूसरी ओर राज्य के 26 आइएएस अधिकारियों ने अब तक सालाना ब्यौरा जमा नहीं किया है। अब इन्हें नोटिस भेजने की तैयारी है। वर्ष 2008 बैच की आइएएस अधिकारी बी.चन्द्रकला वर्ष 2011-12 में इलाहाबाद में मुख्य विकास अधिकारी थीं। उस समय दाखिल सालाना आइपीआर (अचल संपत्ति का ब्यौरा) में उनके पास एक भी अचल संपत्ति नहीं थी, अलबत्ता उनके पति श्रीरामुलू के पास आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले में दस लाख कीमत का एक प्लाट जरूर था। वर्ष 2012-13 में सरकार ने बी.चन्द्रकला को खनन बहुल हमीरपुर का डीएम नियुक्त किया और इसी साल उन्होंने आंध्र प्रदेश के अन्नपूर्णानगर (रंगारेड्डी) में दो प्लाट खरीदे, हालांकि इसके लिए उन्होंने चार लाख रुपये का प्राइवेट लोन दिखाया है। इसी साल नन्ही सी बेटी के नाम लखनऊ के सरोजनी नायडू मार्ग यानी हजरतगंज में 48 लाख का फ्लैट खरीदा गया है। चन्द्रकला ने फ्लैट बेटी के नाना-नानी की ओर से गिफ्ट किये जाने की बात कही है। मौजूदा समय में 67 लाख कीमत वाले इस फ्लैट से छह लाख रुपये सालाना आमदनी का जिक्र उन्होंने अपने आइपीआर में किया है। वर्ष 2013-2014 में बी. चन्द्रकला के पति के नाम करीमनगर में खेती योग्य जमीन का बैनामा हुआ, तब भी वह कलक्टर थीं। महज 4.39 लाख की इस जमीन से हर साल तीन लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
26 ने दाखिल किया नहीं किया आइपीआर
सिविल सेवा अधिकारियों को वर्ष 2014 के लिये 31 जनवरी 2015 तक संपत्ति का रिकॉर्ड कार्मिक मंत्रालय में जमा करना होता है, मगर 26 अधिकारियों ने अभी ब्यौरा दाखिल नहीं किया है। इनमें शैलेश कृष्णा, राकेश शर्मा, हरिकृष्ण, राज प्रताप सिंह, पीवी जगनमोहन, के राम मोहन राव, प्रज्ञान राम मिश्र, रीता सिंह, अनिल राजकुमार, अजय दीप सिंह, शरद कुमार सिंह, भगेलू राम शास्त्री, कनक त्रिपाठी, अनीता श्रीवास्तव, सुरेश कुमार प्रथम, दिग्विजय सिंह, एस.मथू शालिनी, वैभव श्रीवास्तव, आशुतोष निरंजन, नेहा शर्मा, आंद्रावामसी, चांदनी सिंह, राजकमल, सुनील वर्मा, रविन्द्र कुमार मंदर शामिल हैं। कार्मिक विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियम में कोई शिथिलता नहीं लेकिन केन्द्र को ब्यौरा भेजने की समय सीमा 28 फरवरी तक है, लिहाजा तब का ब्यौरा ले लिया जाता है।
क्या कहती नियमावली
सिविल सेवा नियमावली में कहा गया है कि आइएएस अधिकारी को प्रत्येक वर्ष 31 जनवरी तक संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध कराना होगा। लोकपाल के बाद अधिकारियों को अब एक लाख तक की अचल संपत्ति मसलन घड़ी, पेन, चश्मा आदि का भी ब्यौरा देना होता है। इसकी अनदेखी करने पर अधिकारी की प्रोन्नति रोकी जा सकती है।
नोटिस देंगे
प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक राजीव कुमार कि जिन अधिकारियों ने संपत्ति का सालाना ब्यौरा दाखिल नहीं किया है, उन्हें नोटिस भेजी जाएगी। फिर भी ब्यौरा दाखिल नहीं करने पर केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी।
पत्रकार उत्पीडन मुद्दा विस में रखा
विधानसभा में नियम-56 के तहत दैनिक जागरण, बुलंदशहर के पत्रकारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने व शामली में एक न्यूज चैनल कर्मियों से दुव्र्यवहार का मुद्दा कांग्रेस दल नेता प्रदीप माथुर एवं दिलनवाज खान द्वारा रखा गया लेकिन हंगामा व पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव के निधन के कारण चर्चा के लिए स्वीकार नहीं हो सका। सदन स्थगित होने के बाद माथुर का कहना था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद दयनीय है। पुलिस व प्रशासन में बैठे जिम्मेदार लोग जनता को न्याय दिलाने के बजाए मीडिया को दबाने में लगे हैं। सदन में इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।