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‘संप्रभु कश्मीर’ को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- भारतीय संविधान के बाहर नहीं उसके नागरिक

15supremeनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जम्मू कश्मीर की भारतीय संविधान के बाहर और अपने संविधान के अंतर्गत रत्ती भर भी संप्रभुता नहीं है और उसके नागरिक सबसे पहले भारत के नागरिक हैं। शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के एक फैसले को ‘पूरी तरह गलत’ करार देते हुए ये टिप्पणी की।

उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) ने कहा था कि राज्य को अपने स्थायी नागरिकों की अचल संपत्तियों के संबंध में उनके अधिकार से जुड़े कानूनों को बनाने में ‘पूर्ण संप्रभुता’ है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा कि जम्मू कश्मीर को भारतीय संविधान के बाहर और अपने संविधान के तहत रत्ती भर भी प्रमुखता नहीं है। राज्य का संविधान भारत के संविधान के अधीन आता है। पीठ ने कहा कि इसके चलते जम्मू-कश्मीर के निवासियों का खुद को एक अलग और विशिष्ट वर्ग के रूप में बताना पूरी तरह गलत है। हमें उच्च न्यायालय को ये याद दिलाने की जरूरत है कि जम्मू कश्मीर के निवासी सबसे पहले भारत के नागरिक हैं।

पीठ ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के इस फैसले को दरकिनार कर दिया कि राज्य विधानमंडल से बने कानूनों पर असर डालने वाला संसद का कोई कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ही गलत अंत से शुरू होता है इसलिए वो गलत निष्कर्ष पर भी पहुंच जाता है। ये कहता है कि जम्मू कश्मीर के संविधान में अनुच्छेद पांच के सदंर्भ में राज्य को अपने स्थायी नागरिकों की अचल संपत्तियों के संदर्भ में उनके अधिकारों से जुड़े कानूनों को बनाने का पूर्ण संप्रभु अधिकार है।

पीठ ने कही कि  हम ये भी कह सकते हैं कि जम्मू कश्मीर के नागरिक भारत के नागरिक हैं और कोई दोहरी नागरिकता नहीं है जैसा कि दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में कुछ अन्य संघीय संविधानों में विचार किया गया है। शीर्ष अदालत का फैसला उच्च न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध भारतीय स्टेट बैंक की अपील पर आया है।