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विजय रुपानी: रंगून से गुजरात के मुख्‍यमंत्री तक का सफर

rupaniनई दिल्‍ली। बीजेपी ने गुजरात के अगले मुख्‍यमंत्री के तौर पर राज्‍य बीजेपी अध्‍यक्ष विजय रुपानी के नाम पर मुहर लगा दी है। इस पद की रेस में पहले राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री नितिन पटेल को आगे माना जा रहा था, लेकिन शुक्रवार को बीजेपी ने तमाम चर्चाओं पर विराम लगा दिया और नितिन को उप-मुख्‍यमंत्री का पद सौंपा।

शाह ने किया वीटो
जैन बनिया समुदाय से ताल्‍लुक रखने वाले रुपानी को सीएम की कुर्सी मिलना उनके जन्‍मदिन के बिलेटेड गिफ्ट की तरह है। दरअसल, मंगलवार को ही रुपानी का जन्‍मदिन था। रुपानी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के करीबी हैं। सूत्रों के अनुसार, सीएम पद के लिए नितिन पटेल का नाम लगभग तय हो गया था लेकिन अंतिम समय में शाह ने वीटो लगाकर रुपानी के नाम पर मुहर लगाई। तर्क दिया गया कि पटेल आंदोलन और दलित आंदोलन के बीच जैन समुदाय से आने वाले रुपानी आंदोलन को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं और उनके चयन पर किसी को आपत्ति नहीं होगी।

संघ और शाह दोनों के करीबी हैं विजय

संघ के बैकग्राउंड से आने वाले विजय रुपानी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में गुजरात की सभी 26 सीटों पर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति में पार्टी की रणनीति को बूथों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी थी। तब मोदी पूरे देश में और शाह उत्तर प्रदेश पर अधिक फोकस कर रहे थे। इस बीच दोनों ने रुपानी को गुजरात में अपना प्रतिनिधि बनाया था। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, वह दोनों के विश्वासपात्र हैं। इसके अलावा सबको साथ लेकर चलने की उनकी क्षमता भी काम आई।


आरती में शामिल होते विजय रुपानी

मोदी से पुरानी पहचान
वह गुजरात के अकेले ऐसे बीजेपी मंत्री हैं जो इमर्जेंसी में जेल जा चुके हैं। 1971 से संघ से जुड़े रहने वाले रुपानी का नरेंद्र मोदी से परिचय तभी से है। रुपानी के चयन को पटेल आंदोलन के परिपेक्ष में भी देखा जा रहा है। सौराष्ट्र का इलाका पटेलों का सेंटर माना जाता है और उनकी राजनीति यहां से प्रभावित होती है।

रंगून में हुआ था जन्‍म
रुपानी का जन्‍म 1956 में तत्‍कालीन बर्मा की राजधानी रंगून में हुआ था। इनके परिजन बिजनेस के लिये वहां गये थे, लेकिन इनके जन्म के बाद वे 1960 में राजकोट लौट आए।
ABVP से राजनीति में एंट्री
बीए, एलएलबी की पढ़ाई करने वाले रुपानी ने पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के साथ छात्र राजनीति में एंट्री की थी और फिर बाद में संघ से जुड़े। बाद में राजकोट में लंबे समय तक मेयर भी रहे। 2006 में बीजेपी ने उन्‍हें राज्यसभा का सांसद बनाया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद पर उन्हें गुजरात बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया था। 2014 में उन्‍होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। तब वाजुभाई वाला गवर्नर बने और अपनी सीट छोड़ी और इसके बाद हुए उपचुनाव में रुपानी जीते।

जॉगिंग के बहुत शौकीन
रुपानी जॉगिंग के बहुत शौकीन हैं। वह राजकोट वॉकिंग क्लब के अध्यक्ष भी हैं। वह हर दिन 2 घंटे जॉगिंग करते हैं।

राजनीति छोड़ना चाहते थे लेकिन…
रुपानी के करीबियों के अनुसार, डेढ़ दशक पहले वह तब राजनीति छोड़ना चाहते थे जब उनका बेटा छत से गिरकर मर गया था, लेकिन सब लोगों ने मिलकर उन्हें संभाला। अभी भी उनके बेटे के नाम पर एक ट्रस्ट चलता है जो गरीब बच्चों की मदद करता है। उनकी एक बेटी लंदन में है और एक बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है।