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सपा से छिटके मुस्लिमों को साधने में जुटीं मायावती

मायावती की कैमिस्ट्री से सियासी पार्टियों में मचा हड़कंप, दलित-मुस्लिम समीकरण से प्रदेश की सियासत के बदलेंगे रंग
P Mayawatiमुजफ्फरनगर। यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव 2०17 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस बार नई कमिस्ट्री को लगता है अंतिम रूप दे दिया है। पहले यूपी की सत्ता में मायावती ब्राह्मणवाद दलित कैमिस्ट्री के जरिए सत्ता में आई थीं। अब ब्रह्मणों को छोड़ दलित व मुस्लिम समीकरण साथ कर सत्ता हासिल करने का तानाबाना बुनने का काम शुरू कर दिया है। अगर बसपा अपने इस मिशन को सफलता तक पहुंचाने में कामयाब हुई तो इसका सबसे ज्यादा नुक्सान सपा को होगा।
सपा ने मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था जिसको उसने नहीं निभाया। जिला पंचायत के हुए चुनाव में सपा ने 32 यादवों को जिला पंचायत चेयरमैन बनवाया जिसमें मात्र 3 मुसलमानों को ही लड़ाया गया। स्थानीय निकायों के चुनावों में 16 यादवों को एमएलसी बनाया गया। इसमें भी मुसलमानों की संख्या मात्र 4 ही रही। जबकि अगर देखा जाए तो प्रदेश में यादवों की संख्या 7 प्रतिशत है और मुसलमानों की संख्या 25 प्रतिशत है। वोट देने में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है लेकिन एमएलसी और जिला पंचायत चेयरमैन बनाने में यादवों को तवज्जो देने से मुसलमान खिन्न नजर आ रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने फिलहाल इस कमिस्ट्री को मूर्त रूप देने के लिए बसपा की राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को लगाया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब सूबे के मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने निकल पड़े हैं। हाल ही में मुजफ्फरनगर दौरे में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र से नए प्रत्यासी को वहां का प्रत्याशी घोषित करके मायावती की नई कमिस्ट्री को प्रयोग को दर्शा दिया है।

जमीयत उल्मा ए हिद के अध्यक्ष ने सपा से किया किनारा
जमीयत उल्मा ए हिद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना सैयद अरसद मदनी ने भी सपा से किनारा कर लिया है। इसको देखते हुए मुलायम शाही इमाम अहमद बुखारी को तवज्जो देने लगे हैं तो फिर उनके साथ विकल्प के तौर पर सिर्फ बसपा ही एक मात्र दल है। जो भाजपा को पटखनी दे सकता है। मायावती ने सूबे के नए समीकरणों को भांप लिया है। नए सियासी जातीए समीकरणों के आधार पर बसपा ने अपने विधानसभा क्षेत्रों के टिकटों के वितरण में मुसलमानों का तवज्जो देना शुरू कर दिया है। बसपा ने इन सारे मंथन के बाद टिकट वितरण का क्रम तेज हो गया है। बसपा ने सभी को-आर्डीनेटसã विधानसभा क्षेत्रवार जातीय व धार्मिक समीकरणों को जोड़ते हुए मुस्लिम प्रत्याशियों के चयन का काम कर रहे हैं।
मायावती की कैमिस्ट्री से सपा खेमे में मचा हड़कंप
मायावती की मुस्लिम-दलित कमिस्ट्री की योजना से सियासी हल्के खासकर समाजवादी पार्टी में सियासी हड़कंप मच गया है। यह बात तय होती जा रही है कि मायावती अब निर्णायक वोट करने वाले वर्ग दलित-मुस्लिम को अगर एक साथ काम करने में कामयाब होती हैं तो सभी दलों को चित्त करने में कोई संशय नहीं है। मालुम हो कि दलित वोट बैंक पूरी तरह से अब भी हाथी के साथ है। जबकि मुसलमान अब केवल भाजपा प्रत्याशियों को हराने के लिए वोट करने की तैयारी में हैं। ऐसे में मायावती के लिए यह मौका अच्छा है। जब समाजवादी पार्टी में मुसलमान अपने आप को सुरक्षित नहीं महसूस कर पा रहा है क्योंकि सपा सरकार ने मुसलमान के साथ इंसाफ नहीं किया है। इससे मुसलमानों ने सपा से किनारा करने का फैसला कर लिया है।