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यूपी को राहुल गांधी-अखिलेश यादव का साथ पसंद है, मगर मुलायम सिंह यादव को नहीं

लखनऊ। अखिलेश यादव और राहुल गांधी की चुनावी जुगलबंदी को यह कहकर भुनाया जा रहा है कि “यूपी को यह साथ पसंद है”, पर अखिलेश के पिता और समाजवादी पार्टी की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव को यह साथ रास नहीं आ रहा.या यूं कहें कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के भीतर अब भी सब ठीक नहीं है. पिता मुलायम और बेटे अखिलेश की राय नहीं मिल रही है. ताजा मामला कांग्रेस से गठबंधन के फैसले को लेकर सामने आया है. सपा सुप्रीमो ने कह दिया है कि वे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुए गठबंधन के खिलाफ हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे इस गठबंधन के लिए प्रचार भी नहीं करेंगे. अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मुलायम ने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के भविष्य को ख़राब किया है. मुलायम यहीं नहीं रुके उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कई सालों तक देश पर राज किया है और इसी की वजह से देश पिछड़ा हुआ है.

इसलिए मुलायम जता रहे हैं विरोध
दरअसल, मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव से लंबे समय से नाराज हैं. अखिलेश ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया. वह कह रहे थे कि उन्हें अध्यक्ष बने रहने दिया जाए. दूसरा, वह चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न की लड़ाई अपने ही बेटे से हार गए. यह टीस भी कहीं न कहीं उनके मन में है. तीसरा, वह हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़े हैं. वह हमेशा गैर-कांगेसी मोर्चों का हिस्सा रहे. उनकी पूरी सियासी परवरिश गैर-कांग्रेसवाद के नाम पर हुई है. यही नहीं यूपी में भी यह कांग्रेस को कमजोर करके यहां तक पहुंचे हैं. एक समय कांग्रेस का वोटबैंक रहे (मुस्लिम और पिछड़ावर्ग) ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया. अगर यूपी में कांग्रेस दोबारा मजबूत होती है तो उनका वोटबैंक खिसकेगा. सपा कमजोर होगी. इसलिए मुलायम हमेशा से कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ रहे हैं.

इसके साथ ही एक कारण दूसरों के असर का भी है. सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में जब वह दिल्ली गए थे तो एक पत्रकार से उन्होंने कहा था कि अखिलेश बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और वह पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, लेकिन दिल्ली से आने के बाद प्रचार न करने का बयान दिया. उनके करीब रहने वाले बताते हैं कि उन्हें जो जैसा समझा देता है, उसके असर में बोलने लगते हैं.

मुलायम के तल्ख रुख का अंदाजा अखिलेश को भी था
उधर, मुलायम के इस तल्ख रुख का अंदाज़ा अखिलेश यादव को पहले से था. यही कारण है कि साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमारे सहयोगी कमाल खान ने राहुल और अखिलेश से इस बाबत सवाल पूछा कि क्या कांग्रेस और समाजवादी पार्टी .के सीनियर नेता साथ में चुनाव प्रचार करेंगे तो इस पर सीधे जवाब से अखिलेश बचते नज़र आए. यही नहीं बहुत सारे सवालों पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बचते दिखाई दिए

राहुल ने गठबंधन को बताया गंगा-जमुना का मिलन
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी की साइकिल को फिर से सत्ता के शिखर पर ले जाने का ख्वाब संजो रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साथ हुई कांग्रेस को साइकिल का दूसरा पहिया बता दिया तो राहुल गांधी इसे गंगा जमुना का मिलन बता रहे हैं. खास बात यह रही कि राहुल गांधी समाजवादी पार्टी की धुर विरोधी बीएसपी प्रमुख मायावती पर नरम दिखे. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए गठबंधन के बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने लखनऊ में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस और रोड शो किया. राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह गठबंधन बीजेपी और आरएसएस की नफरत की राजनीति का जवाब देने के लिए किया गया है. वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि हम साथ मिलकर 300 सीटेंगे जीतेंगे.