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पुलिस के अनुरोध पर 7 दिन में लीजिए निर्णय: दिल्ली दंगों पर LG का अरविन्द केजरीवाल को अल्टीमेटम

नई दिल्ली। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए हिंसक झड़प और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के मामलों को लेकर उपराज्यपाल (LG) अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि मामले पर दिल्ली पुलिस की ओर से पैरवी करने के लिए छह वरिष्ठ वकीलों को नियुक्त करने के विभाग के प्रस्ताव पर सीएम केजरीवाल एक सप्ताह के अंदर निर्णय लें।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक उप-राज्यपाल (LG) ने खत में कहा है कि कार्यवाहक गृहमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए जबकि पुलिस ने इसके लिए विस्तारपूर्वक स्पष्टीकरण भी दिया था।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए हिंसक झड़प मामले में दिल्ली पुलिस ने 85 मामलों पर पैरवी करने के लिए छह वरिष्ठ वकीलों को नियुक्त करने और सीएए विरोध प्रदर्शनों से संबंधित 24 मामलों को विशेष लोक अभियोजक को सौंपने का प्रस्ताव दिया है।

LG अनिल बैजल ने सीएम अरविंद केजरीवाल को लिखे खत में कहा कि उन्होंने गृह मंत्री से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव पर सहमति जताने के लिए अनुरोध किया है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार (जुलाई 17, 2020) को मतभेदों को दूर करने के लिए कोरोना काल में LG और सिसोदिया के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक आयोजित की गई लेकिन वहाँ भी इस मसले का कोई समाधान नहीं निकल पाया।

उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा लिखे पत्र के हवाले से एक सूत्र ने कहा,

“चूँकि मतभेद अभी खत्म नहीं हुआ है तो मैं मुख्यमंत्री से इस मामले में जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार कानून, 1991 की धारा 45 के तहत जीएनसीटीडी के टीबीआर के 49 नियम के तहत मंत्री परिषद को भेजने का उनुरोध करता हूँ। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आग्रह किया जाता है कि मंत्रिमंडल का फैसला शीघ्रता से एक हफ्ते के भीतर बता दिया जाए।”

बताया जा रहा है कि अगर पत्र में दिए समय के अंदर सहमति नहीं बनती है तो एलजी अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे। सूत्रों के मुताबिक अगर दिल्ली मंत्रिमंडल पुलिस के अनुरोध से सहमत नहीं होता है तो उपराज्यपाल के पास संविधान के अनुच्छेद 239एए(4) के प्रावधानों के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा।

गौरतलब है कि AAP सरकार और उपराज्यपाल के बीच फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े मुकदमों में पैरवी के लिए 11 विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति को लेकर जून में सबसे पहले टकराव सामने आया था। तब दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर पुलिस के अनुरोध को खारिज कर दिया था और उपराज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 239एए(4) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया था।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले उपराज्यपाल (LG) अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली के लोगों का इलाज किया जाएगा।  बाहर के मरीजों का इलाज नहीं किया जाएगा। उपराज्यपाल ने यह फैसला डीडीएमए चेयरपर्सन होने की हैसियत से लिया था।