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चिदंबरम का भी राहुल से भरोसा टूटा? बोले बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा कहीं नहीं ठहरता !

नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दो राज्यों में बीजेपी से ज्यादा सीटें पाने के बावजूद सरकार बनाने में नाकाम रही कांग्रेस में राहुल गांधी के खिलाफ विरोध के सुर लगातार उठ रहे हैं। खास बात ये है कि विरोध की ये आवाजें कांग्रेस के ऐसे बड़े नेताओं की तरफ से उठ रही हैं जिन्हें कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परवार के प्रति सबसे ज्यादा निष्ठावान समझा जाता रहा है। कांग्रेस में बड़े कद ये नेता लगातार कांग्रेस संगठन में कमियों की बात उठा रहे हैं, जाहिर है वो इस तरीके से राहुल गांधी पर ही उंगली उठा रहे हैं क्योंकि पिछले साल-दो साल से कांग्रेस से सभी बड़े फैसले राहुल गांधी ही ले रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने जो बात कही है उसकी उम्मीद राहुल गांधी को कतई नहीं रही होगी। चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी का सांगठनिक ढांचा बीजेपी-संघ के मुकाबले में कहीं नहीं है। अपनी किताब‘फियरलेस इन अपोजिशन’ के विमोचन के मौके पर चिदंबरम ने कहा कि स्पष्ट रूप से कांग्रेस पार्टी के सांगठनिक ढांचे का बीजेपी संघ के ढांचे से कोई मुकाबला ही नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि संगठन की यह क्षमता होती है कि वह मतदान वाले दिन वोट अपनी तरफ खींच ले। अपने संगठन की कमियों को सार्वजनिक तौर पर बताने और प्रमुख राजनीतिक विरोधी की दिल खोल कर तारीफ करने से साफ है कि चिदंबरम कांग्रेस के कामकाज के तरीके से संतुष्ट नहीं है।

चिदंबरम इस कार्यक्रम में कांग्रेस आलाकमान को चुनाव कौशल और प्रबंधन की रणनीति समझाते भी नजर आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के लिए 29 राज्यों में 29 तरह की रणनीति चाहिए। जो रणनीति गुजरात के लिए ठीक है, जरूरी नहीं कि वह असम के लिए भी ठीक हो। उन्होंने कहा कि वो अपने नेतृत्व को बता चुके हैं कि 2019 के आम चुनाव के लिए 29 तरह की रणनीति बनाने की जरूरत है। नोटबंदी पर उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीतिक रूप से हार गई, लेकिन आर्थिक बहस में उसकी जीत हुई है।

आपको बताते चलें कि चिदंबरम से पहले कांग्रेस के महासचिव और राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु दिग्विजय सिंह भी राहुल पर सवाल खड़े कर चुके हैं। उन्होंने हाल में ही कहा था कि ‘मेरी राहुल गांधी से यही शिकायत है कि वह निर्णायक रूप से काम नहीं कर रहे हैं। मैं कई बार उन्हें यह कहा है। वह इस पर बहुत बार नाराज भी हुए हैं कि मैं वही चीज बार-बार क्यों दोहराता रहता हूं’। दिग्विजय सिंह और चिदंबरम जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के इस तरह के बयान से साफ है कि कांग्रेस में भीतर ही भीतर राहुल गांधी के फैसलों को लेकर गंभीर निराशा का माहौल पैदा हो चुका है और भविष्य में ये बगावत का भी रूप ले सकता है।