नोएडा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक बार फिर नोएडा आने से कन्नी काट ली। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में यहां आना था लेकिन वह नहीं आए। बताया जा रहा है कि नोएडा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठे नेताओं के लिए ‘मनहूस’ माने जाने की वजह से अखिलेश ‘स्टैंड अप इंडिया’ कार्यक्रम में नहीं आए। पिछले तीन महीनों में ऐसा दूसरी बार हुआ है कि मुख्यमंत्री अखिलेश किसी महत्वपूर्ण कार्यक्रम में नोएडा नहीं आए।
नोएडा के सेक्टर-62 में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में मोदी ने ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत बैंक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला उद्यमियों को 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का कर्ज देंगे। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक मौजूद थे, लेकिन अखिलेश नहीं आए। उनकी सरकार की नुमाइंदगी राज्य के एक कैबिनेट मंत्री ने की।
इससे पहले 31 दिसंबर 2015 को अखिलेश दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भी नहीं आए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में भी शिरकत की थी। राजनीतिक हलकों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए नोएडा के दौरे को अपशकुन माना जाता रहा है। दलील दी जाती है कि वीर बहादुर सिंह, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह और मायावती सहित कई नेताओं को नोएडा दौरे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था।
नोएडा को मनहूस मानने की शुरुआत 1988 में तब हुई जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा करने के कुछ ही दिनों बाद अपनी सत्ता गंवा दी थी। बाद में 1997 में मायावती को नोएडा दौरे के बाद सत्ता से हाथ धोना पड़ा। इससे पहले 1989 में एनडी तिवारी और फिर 1999 में कल्याण सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ। अक्टूबर 2011 में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने नोएडा आई तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को 2012 के विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवानी पड़ी।
अगस्त 2012 में अखिलेश ने लखनऊ से ही यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया और नोएडा नहीं आए। 2013 में उन्होंने गौतमबुद्धनगर का दौरा किए बगैर ही यहां की आधारभूत संरचना से जुड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन किया। साल 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली से ही डीएनडी फ्लाईओवर का उद्घाटन किया, लेकिन नोएडा के दौरे पर नहीं आए।