लखनऊ। एनआईए के डेप्युटी एसपी तंजील अहमद की हत्या के मामले में एजेंसियों की पड़ताल आतंकी हमले से मुड़कर निजी वजह की ओर बढ़ चली है। तीन दिन की पड़ताल के बाद पुलिस के हाथ कुछ ऐसी जानकारियां आई हैं जो तंजील की हत्या के पीछे निजी वजह होने की ओर इशारा कर रही हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और आतंकी हमले के पहलू को अभी जांच से अलग नहीं किया है। बुधवार तक इस संबंध में एजेंसियां बड़े खुलासे कर सकती हैं।
एटीएस, एसटीएफ, एनआईए और यूपी पुलिस की अभी तक की जांच में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिनकी वजह से आतंकी हमला होने की थिअरी धुंधली पड़ रही है। इसमें पहला तथ्य यह है कि अगर किसी आतंकी संगठन ने इसे अंजाम दिलाया होता तो वह जरूर आगे बढ़कर इसकी जिम्मेदारी लेता, क्योंकि हर संगठन का मकसद ऐसी वारदात कर एजेंसियों को एक संदेश देना और दहशत फैलाना होता।
डेप्युटी एसपी तंजील अहमद का अगर किसी भी जांच या पूछताछ के दौरान किसी भी संदिग्ध या आतंकी से कोई विवाद हुआ होता तो वह इस बारे में अपने संगठन या करीबियों से इसका जिक्र करते लेकिन ऐसी कोई बात अभी तक सामने नहीं आई है। न ही उन्होंने कभी अपने ऊपर किसी तरह के खतरे की आशंका जताई। वारदात वाले दिन उनके पास कोई असलहा नहीं था। अगर उन्हें खतरा होता तो वह रात में असलहा लेकर चलते। आईबी से जुड़े अफसरों ने भी अभी तक जांच एजेंसियों को ऐसे किसी इंटरसेप्शन के बारे में जानकारी नहीं दी है जिसमें इस तरह के हमले की बात सामने आई हो।
घटना के तीसरे दिन एजेंसियों को पड़ताल में तंजील अहमद से जुड़े कुछ पारिवारिक कारणों के बारे में सुराग मिले हैं। यह भी बताया गया है कि तंजील अहमद का परिवार पुश्तैनी रूप से काफी समृद्ध है। एजेंसियों ने आतंकी हमले से ज्यादा इन निजी वजहों पर अपनी जांच केंद्रित कर दी है। अपनी इस थिअरी की सचाई परखने के लिए एजेंसियां उससे जुड़े साक्ष्य जुटा रही हैं।
फिलहाल एडीजी एलओ दलजीत सिंह चौधरी, आईजी एटीएस असीम अरुण, आईजी एसटीएफ रामकुमार लखनऊ लौट आए हैं लेकिन उनकी टीमें अभी भी बिजनौर में डेरा डाले हुए हैं। इधर, एनआईए के डीआईजी अनिल शुक्ला, प्रशांत कुमार, एसपी अनीस श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ अभी भी बिजनौर में जमे हुए हैं। जांच से जुड़े अफसरों से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।