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लखनऊ जंक्शन को ‘मॉडर्न’ बनाने की हो रही है तैयारी

charbagलखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे के जीएम राजीव मिश्र ने कहा है कि अगले दो महीनों में लखनऊ जंक्शन पर स्वचालित सीढ़ी और लिफ्ट की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले चरण में कैब-वे प्लेटफॉर्म (6 नंबर) से पैदल पुल पर चढ़ने और उतरने के लिए 2 स्वचालित सीढ़ियां लगेंगी। इसके अलावा स्टेशन के दूसरे छोर पर भी वीआईपी लाउंज और वेटिंग रूम की सुविधा दी जाएगी।

जीएम राजीव मिश्र ने पत्रकारों से कहा कि अभी अगर कैब-वे से कोई यात्री सीधे प्लेटफॉर्म-6 पर आता है तो उसे ट्रेन लेट होने पर काफी दिक्कत होती है। यह समस्या दूर करने के लिए प्लेटफॉर्म-6 पर गार्ड ड्राइवर लॉबी की खाली हुई जगह पर वीआईपी लाउंज और वेटिंग रूम बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लिफ्ट और स्वचालित सीढ़ियों के लिए टेंडर हो चुका है। उम्मीद है कि इसी वित्तीय वर्ष में ये चालू हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्म-2 व 3 और 4 व 5 लिफ्ट के जरिए पैदल पुल से जोड़ दिए जाएंगे। स्टेशन के सभी प्लेटफॉर्मों के शेल्टर मुख्य प्रवेश के सामने बनी छत से जोड़े जाएंगे। इससे किसी भी यात्री को ट्रेन तक पहुंचने में बारिश और धूप का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा मेट्रो के दुर्गापुरी स्टेशन को एनईआर के पैदल पुल से जोड़ा जाएगा। इससे मेट्रो के यात्रियों को टिकट लेने के लिए मुख्य स्टेशन नहीं आना पड़ेगा। उनकी सुविधा के लिए पैदल पुल पर ही टिकट काउंटर और फास्ट फूड की दुकानें खोली जाएंगी।

पूरा स्टेशन वाई-फाई

जीएम ने बताया कि लखनऊ जंक्शन पर अभी वाईफाई सुविधा एक सीमित दायरे में काम कर रही है। जल्द लखनऊ जंक्शन के साथ गोरखपुर और छपरा के पूरे स्टेशन को गूगल की मदद से वाई-फाई किया जाएगा। यात्री 30 मिनट तक फ्री वाई-फाई का इस्तेमाल कर सकेंगे।

लंबी दूरी की ट्रेनें ऐशबाग से सीधे मानकनगर

लंबी दूरी की ट्रेनों को ऐशबाग से सीधे मानकनगर की ओर चलाने के लिए जल्द मानकनगर-ऐशबाग के बीच एक नई लाइन बिछाई जाएगी। इससे राप्ती सागर, वैशाली, कैफियात, गोरखपुर-ओखा एक्सप्रेस आदि ट्रेनें लखनऊ जंक्शन आने की जगह ऐशबाग से ही लखनऊ के यात्रियों को लेते हुए कानपुर की ओर चली जाएंगी। इसके लिए जहां रेल विकास निगम लिमिटेड से बात चल रही है, वहीं आरडीएसओ से जमीन लेकर लाइन बिछाने की भी कोशिश चल रही है।

गोंडा तक चलेंगी मेमू

जीएम ने कहा कि इसी वित्तीय वर्ष में गोंडा से लखनऊ के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों को बंद कर उनकी जगह मेमू चलाने की कोशिश की जा रही हैं। इससे यात्रियों का गोंड तक जाने में करीब आधा समय बचेगा और पर्यावरण को भी फायदा होगा। अगर कोई तकनीकी पेंच फंसा तो मेमू की जगह डीएमयू चलाई जाएंगी। मेमू और डीएमयू के नए रैक की मांग पहले ही की जा चुकी है।