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किसने बनाया “अखिलेश” की नजरो में “शिवपाल” को “विलन” और क्यों हटाये गये मुख्य सचिव “दीपक सिंघल”

yadav-kunba-slideपिछले 10 दिनों से “समाजवादी सरकार” के “यादव कुनबे” में जारी उठापठक के लिए एक वर्ग द्वारा अमर सिंह को जिम्मेदार बताया जा रहा है पर ये तस्वीर का सिर्फ एक पहलूँ हैं इसके दूसरे पहलू में शामिल होगी समाजवाद के उस “चाणक्य” की कथा जिसने निज स्वार्थों के पूर्ति हेतु पूरे “यादव कुनबे” के विनाश की स्क्रिप्ट तैयार कर ली और मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश-शिवपाल तक सब उसके बिछाये जाल में फसतें ही चले गये।

इस पूरे घटना के सूत्रधार समाजवादी पार्टी के चाढक्य कहे जाने वाले प्रो. रामगोपाल यादव है. रामगोपाल यादव ने ही “यादव कुनबे” के  गलतफहमियों की एक ऐसी दीवार खड़ी डाली जिसके चलते देश भर में एकता की मिसाल दिये जाने वाला “यादव परिवार” आज बिखरने के कगार पर खड़ा है. राम गोपाल की घिनौनी साजिश ने कैसे न केवल परिवार में विघटन पैदा कर दिया बल्कि शिवपाल यादव को भी इस प्रकरण में एक विलन के रूप में लोगों के सामने ला दिया. आइये जानते अब तक की सभी घटनाओ के सिसिलेवार अध्यन से।

दरअसल 12 सितंबर को मुलायम सिंह के दिल्ली आवास पर गुजरात के रहने वाले केतन देसाई पहुँचते है…देसाई साहब के हाथ में सीबीआई के कुछ पेपर होते है और उस पेपर को दिखाकर देसाई मुलायम सिंह यादव से बताते है कि आपकी सरकार में खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ सीबीआई ने बड़ी मजबूत चार्ज सीट तैयार की है अगर जल्द ही उनको हटाया नही तो सरकार की भी बड़ी बदनामी हो सकती है. ये बात सुनकर मुलायम यूपी सरकार के अपने सबसे चहेते मंत्री गायत्री प्रजापति को हटाने को तैयार हो जाते है…जिस समय मुलायम व केतन देसाई के बीच ये बातें हो रही थी तो उस वक्त शिवपाल यादव भी मौजूद थे।

जब गायत्री हटाने का फैसला कर लिया गया तो शिवपाल ने मुलायम से कहा कि मंत्री राजकिशोर सिंह का भी विभाग बदल दीजिये इनके विभाग में तमाम शिकायतें मिल रही है..अलबत्ता फैसले लिया गया और दोनो मंत्रियों को हटाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को फोन किया…चूँकि दोनों मंत्री अखिलेश यादव की पसंद के भी नही थे इसलिए बिना देर किये मुख्यमंत्री ने दोनों मंत्रियों को बर्खास्त करने की अधिसूचना ज़ारी करवा दी. गायत्री को जैसे ही ये खबर लगी गायत्री भाग कर मुलायम सिंह से मिलने पास दिल्ली पहुँचे. तब मुलायम ने गायत्री को मंत्रीमंडल से हटाने की असल वज़ह बताई।

इस पर गायत्री ने मुलायम सिंह का पैर पकड़ लिया और इसके पीछे मुख्य सचिव दीपक सिंघल की वज़ह बताई..दरअसल गायत्री ने कहा कि सरकार की ओर से खनन में जो ऐफिडेविट दी गई थी उसमें जान बूझकर बड़े कमजोर तथ्य रखे गये थे जिसके कारण हाईकोर्ट ने अवैध खनन में सरकार की ओर से सीबीआई जॉच रूकवाने की अपील ठुकरा दी थी. चूँकि गायत्री मुलायम सिंह का प्रिय मंत्री था इसलिये मुलायम सिंह ने जानकारों से इस संबध में राय जानी तो ये स्पष्ट हो गया कि सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी हुई थी जिसके कारण हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था..

जब मुलायम सिंह के सामने ये स्पष्ट हो गया कि गायत्री के खिलाफ वाकई साजिश हुई थी तो मुलायम ने अखिलेश यादव को फोन कर तत्काल मुख्य सचिव को हटाने के लिये बोल दिया…मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बिना देर किये मुख्य़ सचिव को भी किनारे लगा दिया और अपने पसंदीदा अधिकारी राहुल भटनागर को मुख्य सचिव ज्वाईन करा दिया..जब ये सब घटनाक्रम चल रहा था तो उस समय मुख्य सचिव दीपक सिंघल दिल्ली में ही थे और नोएडा में होने वाली मीटिंग में जा रहे थे जैसै ही उनको हटाने की जानकारी उनको टेलीफोन पर दी गई सिंघल भाग कर मुलायम सिंह के आवास पहुँचे..लेकिन मुलायम सिंह यादव ने सिंघल से मिलने से मना कर दिया..तब सिंघल ने अपना ट्रंप कार्ड खेला और मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नि साधना गुप्ता व अमर सिंह से फोन करवा कर अपनी बात ऱखने का समय लिया।

सिंघल जब मुलायम सिंह से मिलने पहुँचे तो उस समय अमर सिंह भी सिंघल के साथ थे..सिंघल ने मुलायम सिंह से मिलकर ये बताया कि गायत्री मामले में उनसे जो भी महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कहा वही उन्होंने किया इसमें उनका कोई दोष नही है…यहां पर अमर सिंह ने भी सिंघल का पक्ष लिया और उनके फिर से मुख्य सचिव बनवाने की सिफारश नेता जी से की…अमर सिंह की बात पर मुलायम सिंह सिंघल को दोबारा मुख्य सचिव बनाने को तैयार हो गये..और अखिलेश यादव को फोन कर ये आदेश दिया..लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने ऐसे करने से सीधे तौर पर मना कर दिया।

अखिलेश के इस तरह से मना करने पर मुलायम बहुत नाराज़ हुऐ और रामगोपाल को फोन कर अखिलेश यादव को अध्यक्ष पद से हटाने व शिवपाल को बनाने का फरमान सुनाया.दो दिन से मुलायम के दिल्ली आवास पर हो रहे इस पूरे घटना क्रम पर रामगोपाल बहुत बारीकी से नज़र बनाये हुए थे अब यहां से रामगोपाल यादव ने अपना खेल शुरू किया शायद जिसका अंत इतिहास के काले पन्नों पर दर्ज हो जायेगा।

राम गोपाल ने अखिलेश यादव को हटाने वाला प्रेस नोट ज़ारी कर सबसे पहले अपने पसंदीदा एक निजी रीजिनल न्यूज चैनल को दिया और उसके बाद अखिलेश यादव को फोन कर ये बताया कि नेता जी इतने गुस्सें में थे मैं कुछ कर नही सका लेकिन इसके पीछे अमर सिंह का हाथ है जिसका साथ शिवपाल यादव ने दिया…अखिलेश यादव को उनके चाटूकारों युवाओं ने पहले से ही शिवपाल को लेकर कान भरे हुए थे और इस घटना से तिलमिलाये अखिलेश ने सीधे जवाबी कार्रवाई करते हुए शिवपाल के सभी महत्वपूर्ण विभाग छीन लिये।

चूँकि रामगोपाल टारगेट तो अमर सिंह को करना चाहते थे लेकिन साफ्ट टारगेट शिवपाल भी थे अब एक तीर से दो निशाना साधने के इस मौके का भरपूर फायदा रामगोपाल ने उठाया. अगर राम गोपाल चाहते तो मुलायम सिंह का अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला थोडी देर टाल सकते थे मुलायम सिंह को करीब से जानने वाले लोग इस बात को बाखूबी जानते है कि रामगोपाल ही ऐसे शख्स है जो मुलायम की नारज़गी को खत्म कर सकते है।

लेकिन राम गोपाल से ऐसा नही किया और पार्टी में अपने दुश्मन नंबर 1 अमर सिंह को निपटाने के साथ शिवपाल को भी कमजोर करने की अपनी सधी चाल चल दी।

उधर इटावा में मौजूद शिवपाल को इस बात का बिल्कुल अंदाजा नही था अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर उनको ये जिम्मेदारी दी गई है.शिवपाल ने खुद ये बात स्वीकार की उनको इसकी जानकारी मीडिया से ही हुई.अखिलेश का शिवपाल का विभाग छीनना व शिवपाल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाना अब ये मामला ऐसा फंसा कि दूरियां लगातार बढ़ती गई।

दिल्ली में बैठे मुलायम सिंह को इस बात का अंदाजा हो गया था पूरे राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल उनसे हो चुकी है.इधर इस पूरे घटना क्रम के बाद रामगोपाल सीधे लखनऊ पहुँचते है और अखिलेश यादव से मिलने के बाद मीडिया से मुखातिब होते है और अपने तय एजेंडे के तहत अमर सिंह के ऊपर इसके पीछे साजिश करने का आरोप मढ़ देते है. रामगोपाल की इस चाल की भनक मुलायम व शिवपाल को लग जाती है.इसलिये दिल्ली से आनन – फानन में लखनऊ आते है.लेकिन रामगोपाल उससे पहले ही अपनी अटैची उठाकर लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाऊस से इटावा के लिए निकल लेते है. (यहां ये भी समझना जरूरी है कि अखिलेश व शिवपाल के बीच आयी तल्खी की वज़ह अचानक ही नही बढ़ती है।

ईर्ष्या की इस चिंगारी की शुरूआत उस दिन से शुरू होती है जिस दिन मार्च 2012 में मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने की बात सामने लाते है अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर शिवपाल ने अपना पक्ष रखते हुए उस समय अहसमति जताई थी. और मुलायम सिंह से कहा था कि मुख्यमंत्री की शपथ आप ही लीजिये अगर अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना है तो 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बनाईयेगा. शायद ये बात अखिलेश को बुरी लग गई थी और यही कारण था कि उसके बाद नाराज़गी की इस चिंगारी को लगातार अखिलेश के कुछ युवा नेता हवा देते रहे और धीरे – धीरे अखिलेश का अपने चाचा के प्रति वो मोह नही रह गया जो बचपन से लेकर आज के पांच साल पहले तक था. अखिलेश को यहां तक लगने लगा कि अगर व मजबूत न हुए तो हो सकता है अगली बार वो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से हाथ धो बैंठे। और ये एक बड़ी वज़ह रही कि सपा सरकार बनने के बाद से अखिलेश और शिवपाल के बीच हल्की – फुल्की तकरार की खबरे आती रही )..

इसके बाद जो कुछ हुआ वो पूरे देश के सामने है…स्थिति ये हो गई कि जिस परिवार कि कभी एकता की मिसाल देश भर में दी जाती हो वहीं अब पार्टी दो धड़ो में बंटी नज़र आ रही है, आज अखिलेश व शिवपाल के समर्थक सड़कों पर आमने – सामने आकर नारेबाजी कर रहे है।

अपने परिवार की एकता पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने वाले मुलायम सिंह यादव का ये दर्द भी 17 सितंबर को पार्टी आफिस में देखने को मिला अखिलेश के समर्थन में नारे बाजी कर रहे पार्टी के युवा संगठनों के कार्यकर्ता व पदाधिकारियों को जब मुलायम ने मीटिंग हाल में बुलवाया तो उनका दर्द व गुस्सा दोनो एक साथ देखने को मिला।

एमएलसी सुनील यादव, एमएलसी राजेश यादव, पीडी तिवारी को मुलायम सिंह ने न केवल समझाया बल्कि परिवार में फूट को लेकर धमकी भी दी. मुलायम ने इन युवा नेताओं को पार्टी खड़ी करने से लेकर अपने व शिवपाल के योगदान को बताया और ये माना कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने गलती की है।

शिवपाल का पक्ष लेते हुए मुलायम सिंह ने इन कार्यकर्ताओं को जमकर लताड़ भी लगाई । मुलायम सिंह ने अमर सिंह का भी पक्ष लेते हुए उनको किसी भी तरह की साजिश रचने से इंकार किया. अखिलेश यादव भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री हो लेकिन उनको राजनीतिक परिपक्वता अपने पिता व चाचा शिवपाल से सीखना चाहिए।

वो इसलिये कि इन सब के पीछे रामगोपाल का हाथ है ये जानते हुए भी सार्वजनिक रूप से कहीं जिक्र नही आने दिया. हलांकि रामगोपाल ने परिवार में आग लगाकर जो घिनौना काम किया है उसके लिए शायद मुलायम व शिवपाल अब खामोश नही रह पायेंगे।