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अब आगे क्या करेंगे अशोक गहलोत? अब आगे क्या करेंगे अशोक गहलोत, क्या वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे, तीन बिंदुओं में समझें राजस्थान के सियासी समीकरण

नई दिल्ली राजस्थान में सियासी समीकरण हर रोज बदल रहे हैं। अब गेंद कांग्रेस हाईकमान के पाले में है। हाईकमान ही तय करेगा कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? क्या सचिन पायलट ही बनेंगे सूबे के कप्तान या गहलोत खेमे की बगावत बिगाड़ेगी खेल?

इन सब सवालों के जवाब अगले दो दिनों में हाईकमान की तरफ से आ जाएंगे। हालांकि, इन सबके बीच एक सवाल ये भी है कि अशोक गहलोत का क्या होगा? क्या वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे? अगर मुख्यमंत्री नहीं तो कौन सा पद मिलेगा? राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए क्या अभी भी गहलोत के पास मौका है? आइए समझते हैं…
पहले जानिए अब तक क्या-क्या हुआ?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता था। इसके लिए गहलोत की जगह किसी दूसरे को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाना था। इसके लिए होने वाली विधायक दल की बैठख से पहले राज्य में घमासान शुरू हो गया। इस घमासान के चलते गहलोत की दावेदारी खतरे में पड़ गई। दो दिन के घमासान के बाद मंगलवार को अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से फोन पर बात की और सफाई भी पेश की।

बुधवार को कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान कांग्रेस के तीन नेताओं महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। ये तीनों गहलोत गुट के हैं। इन सबके बीच हाईकमान ने एक अशोक गहलोत को क्लीनचिट दे दी।

गहलोत अब आगे क्या करेंगे?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘भले ही गहलोत को राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम में क्लीन चिट मिल गई, लेकिन ये सब बिना गहलोत के इशारे नहीं हो सकता। बिना गहलोत की शह के उनके करीबी मंत्री और विधायक कांग्रेस हाईकमान के फैसले के खिलाफ नहीं जा सकते थे। चूंकि गहलोत पार्टी के पुराने नेता हैं और अभी कांग्रेस की स्थिति भी ठीक नहीं है। इसलिए फिलहाल के लिए हाईकमान ने उन्हें क्लीनचिट दे दी है।’

प्रमोद आगे कहते हैं, ‘कांग्रेस हाईकमान इस वक्त तीन बिंदुओं पर विचार कर रहा है। इसी में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के भविष्य पर भी फैसला हो जाएगा।’

1. गहलोत को सीएम बने रहने दिया जाए : मौजूदा समय कांग्रेस के विधायक दो गुटों में बंट गए हैं। ऐसी स्थिति में संभव है कि अशोक गहलोत को सीएम बने रहने दिया जाए। उनकी जिम्मेदारी भी तय हो जाए और सचिन पायलट को केंद्र की राजनीति में बुला लिया जाए।

2. पायलट सीएम, गहलोत को केंद्र की राजनीति : संभव है कि कांग्रेस हाईकमान दोनों नेताओं को बैठाकर समझाए। अशोक गहलोत से कहे कि वह अपने समर्थक विधायक और मंत्रियों को काबू करें और सचिन पायलट अपने समर्थकों को। इसके साथ ही सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। वहीं, अशोक गहलोत को केंद्र की राजनीति में बुला लिया जाए। गहलोत खेमे के दो विधायकों को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। इसी शर्त पर गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि, ताजा घटनाक्रम देखते हुए ऐसा भी हो सकता है कि गहलोत को राष्ट्रीय राजनीति में अध्यक्ष के अलावा कोई पद दे दिया जाए। अभी तक गहलोत ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र भी नहीं लिया है।

3. गहलोत-पायालट के अलावा किसी तीसरे को सीएम बनाया जाए : अगर दोनों का विवाद शांत नहीं होता है, तो यह भी संभव है कि किसी तीसरे को राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया जाए। वहीं, पायलट और गहलोत में से किसी एक को प्रदेश अध्यक्ष, जबकि दूसरे को राष्ट्रीय राजनीति में बुला लिया जाए।

30 सितंबर तक काफी कुछ साफ हो जाएगा
अगर सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद भी राजस्थान के सियासी संकट का पटाक्षेप नहीं होता है तो कांग्रेस हाईकमान खुद से फैसला ले सकता है। ऐसे में अशोक गहलोत को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस विवाद की तस्वीर 30 सितंबर तक साफ हो सकती है। इसी दिन तक अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया जा सकता है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पवन बंसल जैसे दिग्गज नेताओं ने नामांकन फार्म खरीद लिया है। इसके अलावा कांग्रेस हाईकमान ने अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए मीरा कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, कुमारी शैलजा, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक जैसे नेताओं को भी तैयार रहने को कहा है। दिग्विजय सिंह 29 सितंबर को नामांकन कर सकते हैं।