नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अंग्रेजी के प्रफेसर और कवि मकरंद परांजपे ने देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार से सवाल किया कि उन्होंने अपने बहुचर्चित भाषण से पहले क्या तथ्यों की जांच की थी?
गौरतलब है कि जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद कन्हैया ने अपने मशहूर भाषण में गोलवरकर के मुसोलिनी से मुलाकात करने की बात की थी। प्रफेसर परांजपे ने इस तथ्य को सुधारते हुए कहा कि मुसोलिनी से गोलवरकर ने नहीं बल्कि हिंदू महासभा के नेता मुंजे ने मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वे (गोलवरकर) फासीवाद से प्रभावित नहीं थे, वे थे…कृपया हमें इस पर सहमत होने दीजिए कि क्या तथ्य है और क्या नहीं।’
परांजपे ने जेएनयू के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि फासीवाद लोकतंत्र के खिलाफ है और स्टालिनवाद भी। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसे देश का नागरिक होने में गर्व महसूस करता हूं, जहां एक तथाकथित न्यायिक हत्या ने इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया। लेकिन क्या आपको पता है कि स्टालिन के सोवियत संघ में 1920 से 1950 के दशक में कितनी न्यायिक हत्याएं हुईं।’