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आतंकी तैयार करने का IS का बिग प्लान, 31 हजार महिलाएं हो रहीं इस्तेमाल!

isis8लंदन/वॉशिंगटन। दुनिया भर में खौफ का पर्याय बना आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आई) अपने लड़ाकों की नई पीढ़ी तैयार करने के लिए एक लॉन्ग टर्म प्लान पर काम कर रहा है! इसके लिए तथाकथित इस्लामिक स्टेट में रहने वालीं हजारों महिलाओं का इस्तेमाल ‘भावी आतंकी’ पैदा करने के लिेए किया जा रहा है। इस समय इस्लामिक स्टेट में करीब 31 हजार महिलाएं गर्भवती हैं।

लंदन के एक कट्टरपंथी विरोधी थिंकटैंक ‘क्विलियम’ की रिपोर्ट ‘चिल्ड्रन ऑफ इस्लामिक स्टेट’ में यह दावा किया गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित होने के कारण इस रिपोर्ट को यकीन के काबिल माना जा रहा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएस कैसे बच्चों की भर्ती कर उन्हें ट्रेनिंग देकर जिहाद के लिए तैयार करता है। बच्चों की ट्रेनिंग का यह सिलसिला स्कूल से लेकर उनके घर तक चालू रहता है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक आईएस अपने मिशन के लिए बच्चों को वयस्कों की तुलना में ज्यादा घातक हथियार मानता है। साथ ही मासूम बच्चों को चरमपंथी विचारधारा का पाठ पढ़ाना ज्यादा आसान होता है।

रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों को बचपन से ही क्रूरता का पाठ पढ़ाया जाता है। इसके लिए उन्हें कटे हुए सिर से फुटबॉल खेलने जैसे खेल खेलने के लिए प्रेरित किया जाता है।

हालांकि, लड़कियां जिन्हें ‘खलीफा का नूर’ कहा जाता है, उनके लिए नियम अलग है। उन्हें अपना शरीर ढकने और घर पर रहकर शौहर की सेवा का पाठ पढ़ाया जाता है।

क्विलियम की रिसर्चर निकिता मलिक ने इंडिपेंडेंट को बताया कि आईएस के अंदर मुजाहिदीनों की अगली पीढ़ी तैयार करने का एक तयशुदा सिस्टम है। निकिता कहती हैं कि इस्लामिक स्टेट में 31 हजार महिलाएं गर्भवती हैं। यह यूं ही नहीं है। इन बच्चों के लिए एक लॉन्ग टर्म तैयारी है। इसके तहत कट्टरपंथी माहौल में उनकी परवरिश और राष्ट्रवाद की भावना भरने जैसी बातें शामिल हैं।

वह कहती हैं, ‘एक बात जो हमें बहुत दिलचस्प लगी, वह इस आर्मी को तैयार करने की वजह।’ बच्चे एक ब्लैंक स्लेट की तरह होते है। वह बड़ों की तरह अच्छा-बुरा समझ नहीं पाते। इसलिए उन्हें बरगलाना आसान होता है।

वह आगे कहती हैं, ‘परिवार भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। मां की मुख्य भूमिका होती है। वह रात में बच्चों को शहादत की कहानियां सुनाती हैं। परिवार उन्हें सिखा रहे हैं कि क्या सही है और क्या गलत। यह शुद्धता का ऐंगल बुहत दिलचस्प है।’

एक रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2015 से फरवरी 2016 तक आईएस के अभियान में बच्चो के शामिल होने के 254 मामले सामने आ चुके हैं। इसी तरह पिछले छह महीने में बच्चों द्वारा सिर कलम करने के 12 मामले सामने आए हैं।