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सुप्रीम कोर्ट के एक विशेष निर्देश के चलते रात में ताजमहल में रोशनी नहीं की जा सकती जानिए क्यों?

भारत सरकार स्वतंत्रता दिवस की 75वीं जयंती पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर सोशल मीडिया प्रोफाइल की डीपी बदलकर तिरंगा लगाया जा रहा है। हर घर तिरंगा फहराने की तैयारी भी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने इस खास मौके पर देश की ऐतिहासिक इमारतों को तिरंगे की रोशनी से सजाने का फैसला किया है। लेकिन ताजमहल के मामले में यह नियम लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के एक विशेष निर्देश के चलते रात में ताजमहल में रोशनी नहीं की जा सकती है।

संयोग से ताजमहल भारत का पहला स्मारक था जिसे किसी उत्सव के लिए रात में रोशन किया जाता था। आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के संपादक विशाल शर्मा ने कहा, “जब मित्र देशों की सेनाओं ने लगभग 77 साल पहले द्वितीय विश्व युद्ध जीता था, तो ताजमहल विभिन्न रोशनी से जगमगा उठा था।” इतना ही नहीं स्मारक के अंदर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। सामाजिक कार्यकर्ता विजय उपाध्याय के अनुसार, ताजमहल को आखिरी बार 20 मार्च 1997 को प्रसिद्ध पियानोवादक यानी के एक संगीत कार्यक्रम के दौरान रात में रोशन किया गया था। अगली सुबह ताजमहल मरे हुए कीड़ों से भरा हुआ पाया गया। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रासायनिक शाखा ने सिफारिश की कि ताजमहल को रात में नहीं रौशन करना चाहिए क्योंकि कीड़े स्मारक के संगमरमर को नुकसान पहुंचाते हैं। तब से ताजी रोशनी पर प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। हालांकि इन दिनों लाइटिंग के कई बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं।

‘आजादी का अमृता महोत्सव’ समारोह के हिस्से के रूप में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित देश में लगभग 3,500 स्मारकों का 5 से 15 अगस्त के बीच नि: शुल्क दौरा किया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि यह नियम ताजमहल पर भी लागू होगा।