दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मुलाकात की। केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी और आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा भी साथ थे। इस दौरान केजरीवाल ने दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर हेमंत सोरेन से समर्थन मांगा है। इससे एक दिन पहले केजरीवाल ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात कर अध्यादेश पर समर्थन की मांग की थी।
तमिलनाडु के बाद केजरीवाल और उनके सहयोगी गुरुवार की शाम रांची पहुंचे थे। उन्होंने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर मुलाकात की। मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार संघीय ढांचे की बात करती है, लेकिन कार्य इसके बिल्कुल विपरीत करती है। ये गैर BJP शासित सरकार पर प्रहार नहीं है, ये उस राज्य की जनता पर प्रहार है। अरविंद केजरीवाल जी ने जो लोकतांत्रिक और क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए क़दम बढ़ाया है। मैं चाहता हूँ कि ये इसमें सफ़ल हों ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं बची रहें।
इससे पहले केजरीवाल ने कहा कि किसी भी राज्य के ख़िलाफ़ ऐसा अध्यादेश लाया जा सकता है। हमारे लिए दोनों ( YSR-BJD ) भी Important हैं, हमारे लिए एक-एक Seat Important है। मैं हर एक BJP सांसद को भी चिट्ठी लिखूंगा कि ये उनकी पार्टी BJP की लड़ाई नहीं है ये देश के अंदर जनतंत्र को कायम रखने की लड़ाई है, आज़ादी की लड़ाई है। मेरा दिल कहता है कि ये बिल पास नहीं होगा।
कांग्रेस तय करे वो किसके साथ
केजरीवाल ने कहा कि कोई भी पार्टी इस अध्यादेश के पक्ष में कैसे Vote कर सकती है Congress को तय करना है कि वो देश के जनतंत्र-संविधान और 140 Crore लोगों के साथ है, या फिर Modi जी के साथ है। केजरीवाल ने कहा कि ये आज़ादी की लड़ाई है जनता Supreme होती है। अगर जनता के अधिकार को कोई अध्यादेश हराने चला है तो ऐसे अध्यादेश को हराना पड़ेगा। ये अध्यादेश देश की आजादी, देश की Foundation पर प्रहार है। हम सभी पार्टियों के पास जाएंगे और पूरे देश को इकट्ठा करेंगे।
इन नेताओं से भी कर चुके हैं मुलाकात
इससे पहले सीएम केजरीवाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना उद्धवबालासाहेब ठाकरे प्रमुख उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से भी मुलाकात कर अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगा है। वहीं, केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात के लिए समय मांगा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 मई को एक फैसले में कहा था कि दिल्ली की नौकरशाही पर ट्रांसफर, पोस्टिंग में दिल्ली सरकार का हक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने करीब 10 दिन बाद एक अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। आम आदमी पार्टी ने इसे गैर संवैधानिक बताया और विपक्षी दलों से मुलाकात कर इसके खिलाफ समर्थन जुटा रहे हैं। माना जा रहा है कि मानसून सत्र में केंद्र सरकार एक बिल लेकर आ सकती है।