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दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया को पुलिस हिरासत में पत्नी से मिलने की इजाजत दी

दिल्ली आबकारी नीति मामले में जेल में बंद मनीष सिसोदिया को कोर्ट से फौरी राहत मिल गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम को कुछ घंटे के लिए अंतरिम राहत दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया को पुलिस हिरासत में पत्नी से मिलने की इजाजत दी है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया को कल सुबह 10 से शाम 5 बजे तक के लिए अंतरिम जमानत दी है। अदालत का कहना है कि सिसोदिया मीडिया से बातचीत नहीं कर सकते हैं। परिवार के अलावा वो किसी से बात नहीं करेंगे, मोबाईल और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करेंगे। यात्रा के दौरान पुलिस उनके साथ रहेगी। मनीष सिसोदिया ने पत्नी की सेहत के हवाले से अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसे देखते हुए अदालत ने उन्हें राहत देने का फैसला लिया है।

आबकारी नीति इतनी अच्छी थी तो वापस क्यों ली ?
वहीं इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में गिरफ्तार पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से बृहस्पतिवार को पूछा कि अगर यह नीति ‘‘इतनी अच्छी” थी तो उन्होंने इसे वापस क्यों लिया। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में सह-आरोपी विजय नायर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) नेता के वकील से उनके सवाल पर ‘‘ठोस जवाब देने” के लिए कहा। सिसोदिया के पास कई अन्य विभागों के साथ आबकारी विभाग का प्रभार भी था। न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘‘अगर नीति इतनी अच्छी थी तो आपने उसे वापस क्यों लिया? इस पर ठोस जवाब दीजिए।”

अदालत को बताया गया कि तिहाड़ जेल में बंद सिसोदिया ने एक बार फिर अपनी अंतरिम रिहाई की अर्जी दायर की है। सिसोदिया के वकील ने कहा कि यह नीति तब वापस ली गयी जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने शराब की दुकानों को ‘‘निषिद्ध” क्षेत्रों में खोलने की अनुमति नहीं दी थी जिसके कारण नुकसान हुआ। उन्होंने दावा किया कि 10 साल के लिए लागू पहले की नीति के तहत ऐसे इलाकों में दुकानें खोली गयी थी। नयी आबकारी नीति के तहत प्रत्येक लाइसेंस धारक को हर नगर निगम वार्ड में तीन दुकानें खोलनी थीं। हालांकि, कई क्षेत्रों को निषिद्ध करार दिया गया जहां दिल्ली मास्टर प्लान के कथित उल्लंघनों को लेकर नगर निकायों की कार्रवाई के कारण दुकानें नहीं खुल सकीं।

हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि आरोपियों के गलत कारनामों का ‘‘खुलासा” होने के कारण यह नीति वापस ली गयी। धन शोधन मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका अदालत के समक्ष लंबित है। सिसोदिया के खिलाफ मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में बदलाव करते हुए ये अनियमितताएं की गयीं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिए गए। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया गया।