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SC ने केजरीवाल सरकार को राहत के साथ दिए ये 3 तगड़े झटके

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कुछ राहत दी है तो तीन तगड़े झटके भी दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मुमकिन नहीं है.

पहला झटका: पूर्ण राज्य का दर्जा

अरविंद केजरीवाल काफी समय से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे थे. लेकिन आज सुनवाई में कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मुमकिन नहीं है. केजरीवाल का कहना था कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिले बगैर दिल्ली का समुचित विकास नहीं हो पा रहा, लेकिन कोर्ट ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया.

दूसरा झटका: सर्विसेज

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से पैरवी कर रहे और आप विधायक सोमनाथ भारती ने कहा कि सर्विसेज और एसीबी के मामले में हमें कोर्ट के फैसले से निराशा हुई है. मौजूदा वक्त में अरविंद केजरीवाल दिल्ली में किसी भी कर्मचारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकते. केंद्र सरकार दिल्ली में कर्मचारियों के स्थानांतरण के फैसले पर अपना हक जताती है. केजरीवाल इसका शुरू से विरोध कर रहे हैं. केजरीवाल दुहाई देते रहे हैं कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार की कोई नहीं सुनता. उनका कहना है कि दिल्ली के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उनकी बात नहीं मानते. इसके चलते उन्होंने एलजी हाउस में 9 दिन तक धरना भी दिया था. अगर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला केजरीवाल के हक में आता है तो दिल्ली के अधिकारियों-कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार भी केजरीवाल को मिल जाएगा.

तीसरा झटका: ACB

सुप्रीम कोर्ट ने एसीबी पर भी केजरीवाल सरकार को झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से पैरवी कर रहे और आप विधायक सोमनाथ भारतीय ने कहा कि सर्विसेज और एसीबी के मामले में हमें कोर्ट के फैसले से निराशा हुई है. गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर ही आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई थी. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार बनाने के बाद सबसे जोर-शोर से जो काम किया, उसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई रही है. केजरीवाल ने सरकार बनाते ही फौरन एंटी करप्शन ब्रांच का गठन किया. ब्रांच ने ताबड़तोड़ कई छापे भी मारे. लेकिन यहां फिर से उपराज्यपाल का दखल हुआ. तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने जून 2015 में ACB में अपनी पसंद का अधिकारी बैठा दिया, जिसका केजरीवाल सरकार ने जमकर विरोध किया. यहीं से उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री में ‘ठन’ गई.

इस घटना के बाद से केजरीवाल उपराज्यपाल के विरोध में और मुखर हो गए. अगर आज केजरीवाल के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है तो ACB में केजरीवाल फिर से अपनी पसंद का अधिकारी नियुक्त कर सकेंगे और भ्रष्टाचार विरोधी अपनी मुहिम को और तेज कर सकेंगे.