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19 जून तक हरहाल में गायत्री प्रजापति का अवैध निमार्ण ध्वस्त करे LDA : ‘हाइकोर्ट’

लखनऊ। समाजवादी सरकार के शासन में अपनी मजबूत पकड़ एवं अधिकारियों पर अनुचित दबाव डलवाकर अनैतिक एवं अवैध काम करने वाले सपा सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति के मामले में हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने कल कड़ा रुख अखतियार किया है। लखनऊ में बिना अनुमति के अवैध रूप से बनवाई गई गायत्री की तीन मंजिला इमारत को 4 दिन के अंदर ध्वस्त करने का आदेश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गायत्री प्रजापति के मामले में गुरुवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण को 19 जून तक गिराने और इसकी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।

इससे पूर्व LDA ने गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण पर बुधवार को कार्रवाई का प्लान बनाया था, लेकिन उनके बेटे अनुराग इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए। उन्होंने अवैध निर्माण को न गिराने की अपील की थी।  अनुराग ने LDA की कार्रवाई के खिलाफ रिट दाखिल कर दी।

रित की सूचना मिलने के बाद LDA ने कार्रवाई पर रोक लगा दी जबकि हाई कोर्ट द्वारा ऐसा कोई आदेश LDA को नही दिया गया था। सिर्फ रिट दाखिल होने की वजह से कार्रवाई न करने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए LDA को 19 जून तक कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

सपा सरकार में मंत्री रहते हुए गायत्री प्रजापति ने बिना नक्शा पास कराए सरकारी जमीन पर तीन मंजिला अवैध निर्माण आशियाना के सालेह नगर में करवा लिया था। योगी साकार आने के बाद LDA हरकत में आया और उसने  गायत्री के इसी अवैध निर्माण को  अग्रेतर कार्यवाही हेतु सील किया था।

सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि यह निर्माण कब ,क्यो और किन अधिकारियों की देखरेख में हुआ और इस अनाधिकृत निमार्ण में किस किस की सहभागिता थी ?

आपको बता दे कि गायत्री प्रजापति के सभी काम चाहे चित्रकूट की महिला से समूहिक बलात्कार हो,अवैध खनन या अवैध निर्माण सभी अखिलेश सरकार के कार्यकाल में समपन्न हुए। अखिलेश का गायत्री को बचाने में कितना योगदान था इसका अंदाज़ा इसी बात से लग जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशो के बावजूद यूपी पुलिस गायत्री प्रजापति को एक लंबे समय तक गिरफ्तार नही कर सकी। यदि सत्ता पलट न होती तो गायत्री प्रजापति आज भी ष्ठान शौकत से घूम रहा होता।

जहांतक प्रश्नगत अवैध निर्माण का प्रश्न है यह काम भी अखिलेश सरकार के चहेते सतेंद्र कुमार सिंह के LDA के उपादयक्ष रहते हुए उनकी छत्र छाया में हुआ। LDA के टाउन प्लानर राहुल श्रीवास्तव  द्वारा नक्शा अस्वीकृत किये जाने के बावजूद सतेंद्र सिंह के इशारे पर क्षेत्र के अभियंता आर डी वर्मा और अजय कुमार सिंह को अवैध निमार्ण की जानकारी होने पर भी किन्ही कारणों वश कार्यवाही न करने के लिए विवश होना पड़ा। परन्तु यह सच है कि इन क्षेत्रीय अभियंताओं और उनके अधीन स्टाफ ने नियमो के विरुद्ध या तो मौका मुआयना नही किया या इसकी रिपोर्ट प्रवर्तन विभाग को नही देते रहै। विभागाध्यक्ष के नाते इसकी पूरी जिम्मेदारी तत्कालीन  VC  LDA की ही है।सरकार कितनी जल्दी इसमें निर्णय लेती है यह सरकार की तत्परता पर निर्भर है।

उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद यदि इन दोषी अधिकारियों पर निर्धारित समय सीमा में कोई कार्यवाही नही होती है तो सीधे सीधे इसका दायित्व योगी सरकार का होगा।