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सड़कों पर बिखरे पत्थर, जला हुआ थाना, जहां.जहां जली बाइकें और खून के निशान..तस्वीरों में हिंसा के बाद का मंजर

हल्द्वानी सड़कों पर बिखरे पत्थर, जला हुआ थाना, जहां-जहां जली बाइकें और खून के निशान.. कुछ ऐसा था शुक्रवार की सुबह बनभूलपुरा क्षेत्र का हाल। जहां घरों की दीवारों पर पत्थरों और ईटों के निशान बीते बृहस्पतिवार की रात हुए खौफनाक मंजर का हाल बयां कर रहे थे। जिनकी सुबह से दोपहर तक निगम कर्मी सफाई में जुटे रहे।

बनभूलपुरा में बीते बृहस्पतिवार की शाम से रात के अंधेरे तक पथराव, आगजनी और गोलीबारी ने पूरे उत्तराखंड को हिलाकर रख दिया है। शुक्रवार की सुबह उजाले में इलाके का खौफनाक मंजर सामने आया। सुबह नगर निगम की टीम के साथ बनभूलपुरा को जाते समय सबसे पहले ताज चौराहे पर बेरिकेट और कुर्सियों के टूटे हुए टुकड़े बिखरे पड़े।

बनभूलपुरा में बीते बृहस्पतिवार की शाम से रात के अंधेरे तक पथराव, आगजनी और गोलीबारी ने पूरे उत्तराखंड को हिलाकर रख दिया है। शुक्रवार की सुबह उजाले में इलाके का खौफनाक मंजर सामने आया। सुबह नगर निगम की टीम के साथ बनभूलपुरा को जाते समय सबसे पहले ताज चौराहे पर बेरिकेट और कुर्सियों के टूटे हुए टुकड़े बिखरे पड़े।

यहां से बनभूलपुरा थाने की ओर जाने वाले रास्ते में पहुंचते ही ईंट पत्थर सड़क पर गिरे हुए दिखे। वहीं लाइन नंबर आठ के बाहर पुलिस फोर्स तैनात नजर आयी। यहां गली के रास्ते में प्लास्टिक की खाली बोतलें बिखरी पड़ी थी। और अंदर पत्थर सड़क पर फैले हुए थे।
मगर थाने के सामने पहुंचते ही मंजर सबसे भयावह नजर आया। यहां थाना जला हुआ था और इसके बाहर जले हुए दो पहिया वाहन जहां-तहां पड़े मिले। बाइकों के सिर्फ लोहे की बॉडी ही शेष बची हुई थी।
कुछ आगे बढ़ने पर चोरगलिया रोड से लगी एक गली के अंदर सड़क पर खून बिखरा हुआ था। इस गली के कुछ अंदर जाने पर सड़क पर खून से लथपथ किसी चोटिल को घसीटकर ले जाने के निशान पड़े हुए थे, जबकि खून की बूंदें अंदर दूर तक नजर आई।उधर जब मैं निगम की टीम के साथ अंदर गया तो वहां नजारा अलग था। सड़क पर पत्थर पड़े थे। ईंट पड़ी थी। सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों के शीशे टूटे थे। एक भी गाड़ी ऐसी नहीं दिखी जिसके शीशे टूटे न हों। आगे रिक्शा कार जला हुआ पड़ा था।पुलिस के बॉडी प्रोटेक्शन, कैप सड़क पर पड़ी है। मलिक के बगीचे के पास जेसीबी पूरी तरह जली है। निगम के वाहनों की अस्थियां दिख रही हैं। तभी एक दो पत्थर आते हैं हम लोग अंबेडकर नगर की ओर से बाहर निकलते हैं। यहां पर पूरा पत्थर, ईट और जला हुआ घर दिखता है।

दुकान स्वामी तंदूर और आटा छोड़कर दुकान बंद कर भाग खड़ा हुआ। वहीं पर समोसे बनाने वाले ने समोसे बनाने के लिए आलू रखे थे लेकिन वह पथराव को देख आलू छोड़कर भाग गया।