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जिस तांत्रिक के इशारों पर कभी भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नाचते थे, वो चंद्रास्वामी नहीं रहे

नई दिल्ली। एक प्रधानमंत्री के करीबी दोस्त और एक प्रधानमंत्री की हत्या में कथित तौर पर संलिप्त विवादास्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी की मंगलवार (23 मई) को मौत हो गई. मस्तिष्काघात के शिकार हुए चंद्रास्वामी की 66 साल की उम्र में अपोलो अस्पताल में मौत हो गयी. अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘66 वर्षीय आध्यात्मिक नेता जगदाचार्य चंद्रास्वामी जी कुछ समय से बीमार थे. उन्हें हाल में मस्तिष्काघात पहुंचा था और बाद में विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया.’ बयान में कहा गया, ‘दिन में दो बजकर 56 मिनट पर आज उनकी मौत हो गयी.’

बयान में कहा गया कि डॉक्टरों की तरफ से सभी तरह के प्रयास के बावजूद उनकी स्थिति बिगड़ती गई. राजीव गांधी हत्याकांड में चंद्रास्वामी की कथित भूमिका मिलाप चंद आयोग के सामने आयी थी. हत्या के पीछे के साजिशों की जांच के लिए आयोग बनाया गया था. हत्याकांड पर अपनी रिपोर्ट में आयोग ने मामले में उनकी संलिप्तता पर एक खंड दिया था. चंद्रास्वामी का असली नाम नेमीचंद था. चंद्रास्वामी जैन थे जो कि हिंदू देवी मां काली की पूजा करते थे.

चंद्रास्वामी जब बच्चे थे उनके साहूकार पिता राजस्थान में बेहरोर से हैदराबाद चले गए थे. युवावस्था में जन्मकुंडली बांचने से शुरुआत करने वाले चंद्रास्वामी जल्द ही ज्योतिषी के तौर पर चर्चा में आए थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के शासन के दौरान उनके पास बेशुमार शक्तियां थीं. उन्हें राव का भरोसेमंद सहयोगी और सलाहकार माना जाता था.

अक्सर विवादों में रहे चंद्रास्वामी का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड की जांच में सामने आया. तमिलनाडु में गांधी की हत्या के बाद राव के 1991 में प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद बताया जाता है कि चंद्रास्वामी ने दिल्ली के कुतुब इंस्टिट्यूशनल इलाके में विश्व धर्मायतन संस्थान आश्रम का निर्माण कराया.

कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने आश्रम के लिए संगठन को जमीन आवंटित की थी. तांत्रिक पर वित्तीय अनियमितता के भी आरोप लगे. वर्ष 1996 में उन्हें लंदन स्थित एक कारोबारी से जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया. वह विदेशी मुद्रा विनियमन कानून का उल्लंघन करने के आरोपों का सामना कर रहे थे.