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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन: जानें राज्य के विधायकों के कैसे आए अच्छे दिन!

नई दिल्ली। पीडीपी से बीजेपी की समर्थन वापसी और उसके बाद मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दिया गया है. एक दशक में यह चौथा मौका है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है. राज्यपाल एनएन वोहरा ने श्रीनगर में कई बैठकें की जिनमें सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई. वहीं थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने कहा कि घाटी में आतंकियों के खिलाफ मौजूदा सैन्य अभियान पहले की तरह जारी रहेंगे.

पिछले एक दशक में चौथी बार राज्य में केंद्रीय शासन लगा है और संयोग की बात है कि ऐसा चारों बार वोहरा के ही कार्यकाल में हुआ. वोहरा जून, 2008 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने थे. पिछले चार दशकों में राज्य में आठवीं बार राज्यपाल शासन लगा है. मौजूदा विधानसभा का छह साल का कार्यकाल मार्च, 2021 में खत्म होगा.

विधायकों के लिए अच्छी खबर
विधानसभा निलंबित रहने का मतलब है कि विधायकों अपनी सीट नहीं गंवाएंगे. हालांकि वे अपने विधायी शक्तियां खो देंगे. सरल शब्दों में कहा जाए तो वे कानून नहीं बना सकेंगे. हालांकि वेतन और भत्ते उन्हें पहले की तरह मिलते रहेंगे. यानी विधानसभा निलंबित है, विधायक नहीं.

ये अधिकारी भी खुश
केवल विधायक ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य भी खुश हैं क्योंकि उनके लिए राज्यपाल शासन में कार्य करना बहुत आसान होगा. बुधवार को वैद्य ने एक न्यूज चैनल से कहा कि राज्यपाल शासन में सुरक्षा एजेंसियों के लिए आतंक के खिलाफ ऑपरेशन चलाना आसान हो जाएगा.

बीवीआर सुब्रह्मण्यम
इसी बीच, छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम को बीबी व्यास की जगह जम्मू कश्मीर का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है. तो वह भी अपनी इस नहीं जिम्मेदारी से खुश होंगे. सुब्रह्मण्यम को आंतरिक सुरक्षा मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। वर्ष 2004-2008 के बीच उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निजी सचिव के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं. सुब्रह्मण्यम मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के समय पीएमओ में ही थे. वह मार्च 2015 तक पीएमओ में ही रहे और फिर वह अपने कैडर वाले प्रदेश छत्तीसगढ चले गए.

एक अन्य सलाहकार नियुक्त किए गए के विजय कुमार तमिलनाडु कैडर के 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह इससे पहले 1998-2001 में बीएसएफ के महानिरीक्षक के रूप में कश्मीर घाटी में सेवाएं दे चुके हैं जब बीएसएफ आतंकवाद रोधी अभियान में सक्रिय रूप से लगा था.