नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी का गठबंधन टूटते ही केंद्र सरकार ने घाटी में सक्रिय आतंकियों का खात्मा करने के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाना शुरू कर दिए हैं. इन्हीं कदमों के तहत जम्मू और कश्मीर में NSG की टीम को तैनात करने का फैसला गृह मंत्रालय ने किया है. फैसले के तहत जल्द ही NSG की हाउस इनवेंशन टीम को जम्मू और श्रीनगर में तैनात किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में भेजी जाने वाली NSG कमांडो टीम की पहली जिम्मेदारी आतंकियों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को सकुशल मुक्त कराने की होगी. इसके अलावा, घाटी में आतंकियों के खिलाफ होने वाले ऑपरेशन में अब CRPF और सेना के साथ NSG के कमांडो भी जाएंगे. गृह मंत्रालय को उम्मीद है कि घाटी में NSG की तैनाती के बाद आतंकियों गतिविधियों पर बड़े स्तर पर लगाम कसी जा सकेगी.
बीएसएफ के साथ हो रही है NSG कमांडो की ट्रेनिंग
गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में तैनात होने वाले NSG कमांडो की टीम का चयन कर लिया गया है. इन सभी कमांडो को ट्रेनिंग के लिए बीएसएफ के हुमहमा कैंप में भेजा गया है. जहां बीएसएफ के अनुभव प्राप्त प्रशिक्षक NSG कमांडो को जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन के दौरान आने वाली अड़चनों और ऑपरेशन के दौरान सामने आने वाली परिस्थितियों से जूझने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि घाटी में NSG की तैनाती का मुख्य मकसद आतंकवादियों को खात्मा जरूर है, लेकिन उन्हें इस बात का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वह किस तरह जान और माल की हिफाजत करते हुए कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर सकते हैं.
आतंकियों के कब्जे से बंधकों को आसानी से कराया जा सकेगा मुक्त
सूत्रों के अनुसार, बीते सालों हुई घटनाओं में यह देखने को मिला है कि आतंकी खुद को बचाने के लिए स्थानीय नागरिकों को बंधक बना लेते हैं. आतंकी स्थानीय नागरिकों को अपनी ढाल बनाकर सुरक्षाबलों के साथ निगोशिएशन करने की कोशिश करते हैं. सुरक्षाबलों की मजबूरी होती है कि वह किसी भी सूरत में स्थानीय नागरिकों की जान को खतरे में न डालें. ऐसी स्थिति में आतंकी लंबे समय तक सुरक्षाबलों को किसी भी तरह की कार्रवाई करने में रोके रखते हैं. मजबूरन, घाटी में तैनात सुरक्षाबलों को फायर पावर का इस्तेमाल करना पड़ता है. जिसमें बडे़ तादाद में जान और माल की क्षति होने की आशंका बनी रहती है. उन्होंने बताया कि NSG के ज्यादातर कमांडो ट्रेंड स्नाइपर्स होते हैं. लिहाजा, वह बेहद आसानी से आतंकियों को निशाना बना बंधकों की जान बचा सकते हैं.
NSG कमांडो लेंगे लाइव ऑपरेशन का अनुभव
गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा व्यवस्था के तहत NSG कमांडो के पास लाइव ऑपरेशन का अनुभव नहीं होता था. आतंकी हमलों का सामना करने के लिए उन्हें समय-समय पर मॉक ड्रिल के जरिए प्रशिक्षण दिया जाता था. गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद NSGकमांडो को टेरेरिस्ट ऑपरेशन का लाइव एक्सपीरियंस हासिल हो सकेगा. उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में बीते साल आतंकियों के साथ ऑपरेशन में सुरक्षाबल के करीब 85 अधिकारी और जवानों को शहादत देनी पड़ी थी. इन्हीं आतंकी गतिविधियों में करीब छह दर्जन स्थानीय नागरिकों की जान गई थी. वहीं 2018 में अब तक सुरक्षाबलों के 34 और 38 स्थानीय नागरिकों की शहादत हो चुकी है.