बहुत कम लोगों को पता होगा कि जब देश को आजादी मिली थी, तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सबसे पहले कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी को अब खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि इसका गठन आजादी के आंदोलन के लिए एक संगठन के रूप में हुआ था। हालांकि कांग्रेस को खत्म तो नहीं किया गया, लेकिन बार-बार इस बात की चर्चा जरूर होती रही। सवाल ये भी उठते रहे कि आखिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ऐसा क्यों कहा था? आज आजादी के छह दशक से ज्यादा गुजर जाने के बाद फिर से वही बातें मुझे दोबारा याद आ रही हैं। इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ यह है कि जिस कांग्रेस ने देश की आजादी के लिए सब कुछ किया। सैकड़ों हजारों नेताओं ने अपनी कुर्बानी दी। देश को एक नई राह दिखाई, उस कांग्रेस को आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, उस कांग्रेस के सर्वेसर्वा को आज न सिर्फ देशभक्ति की दुहाई देनी पड़ रही है, बल्कि कई बारगी देशद्रोह के रास्ते पर खड़ा होते हुए भी दिखना पड़ रहा है। सीधे-सीधे कुछ उदाहरण के जरिए अपनी बात रख रहा हूं। 1-जिस जेएनयू में देशद्रोह के नारे लगे, जहां देश को बर्बाद करने की कसमें खाई गईं, जिस परिसर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं। उसी JNU में राहुल गांधी विवादों के पैदा होने के बाद न सिर्फ पहुंचे, बल्कि उन छात्रों के साथ खड़े होकर समर्थन करते दिखे। यह बात सच है कि अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए। इस देश का कोई भी इंसान इस हक को नहीं खोना चाहेगा। लेकिन क्या राहुल गांधी ने एक बार भी इस बात की शिकायत की या फिर इसके खिलाफ उतने मुखर दिखे कि देशद्रोह के नारे लगाने वालों के खिलाफ सख्ती बरतनी चाहिए ताकि इस देश में आने वाला कोई भी शख्स अपनी ही भारत मां के सौ टुकड़े करने की बात कभी भी न सोच सके।सच तो यह है कि इस गलती के बाद भी राहुल गांधी ने माफी नहीं मांगी बल्कि ये सफाई देते रहे कि देशभक्ति उनकी रगों में बसता है। 2-गुलाम नबी आजाद का आरएसस से ISIS से तुलना करना बेहद खतरनाक है। ये बात सही है कि हर संस्था की अपनी विचारधारा होती है। हर संस्था को मानने वाले लोग होते हैं, तो विरोध करने वाले भी होते हैं। लेकिन क्या कभी RSS पर इस देश में ISIS जैसे संगीन आरोप लगे। हां, ये बात सच है कि आरएसस पर दो बार पाबंदी लगी। लेकिन दोनों ही बार देश की सर्वोच्च अदालत से RSS को सभी आरोपों से बरी किया। ऐसे में सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ISIS से आरएसस की तुलना करना न सिर्फ आपके मानसिक दिवालियेपन की निशानी है, बल्कि इस बात का प्रतीक भी है कि किस तरीके से कांग्रेस अपनी बर्बादी की कब्र खुद ही खोद रही है। कम से कम इसी देश में RSS का विरोध करने वाले भी गुलाम नबी के इस बयान की वजह से कांग्रेस से दूर हो जाएंगे। 3-जिस कांग्रेस को इस देश की आत्मा माना जाता था, वो कांग्रेस आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। ये अकारण नहीं है कि पहली बार कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों पर आकर सिमट गई हैं। लेकिन इसके बावजूद पार्टी के नेताओं ने कभी अपनी सोच, काम करने के अपने तरीके को नहीं बदला। लोकसभा चुनाव और उसके बाद के चुनावों को देखें तो कांग्रेस पार्टी बर्बादी की तरफ जा रही है। जिस कांग्रेस का इतिहास देश की आजादी के इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं… उसका ये हस्र होता देख मन भी दुखी होता है। 4-अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कांग्रेस इतनी नकारात्मक हो गई है कि अब उसे देश से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। बस एक ही काम रह गया है – बात में मोदी का विरोध। यकीन मानिए अगर बजट पेश न भी किया गया हो और उस पर भी किसी कांग्रेसी नेता या फिर खुद राहुल गांधी का रिएक्शन ले लीजिए तो उसमें भी बिना पढ़े या फिर ये जाने की ये पेश नहीं किया गया है, दस गलतियां निकाल देंगे। 5-मेक इन इंडिया या फिर स्वच्छता मिशन की हर जगह बुराई का क्या मतलब है। अगर मोदी ये कहते हैं कि देश में स्वच्छता मिशन चलाया जाना चाहिए, तो क्या इसमे भी राहुल गांधी को एजेंडा नजर आता है। अगर इस देश में वाकई हर चीज मेक इन इंडिया के आधार पर चलने लगे तो क्या वो देश की तरक्की से जलते हैं। ये वो मुद्दे हैं, जो राहुल गांधी या कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हैं। लेकिन इस बात के लिए मन को कचोटता भी है कि हम जाने अनजाने उस कांग्रेस पार्टी का विरोध कर रहे हैं, जिनका योगदान इस देश की आजादी में रहा है। 6-एक वो दौर था जब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर इस देश के संविधान की धज्जियां उड़ा दी थीं, लेकिन फिर ऐसा लगा कि ये देश संभल रहा है। लेकिन सच तो ये है कि कभी गरीबी के बहाने, कभी तुष्टिकरण के बहाने, कभी आरक्षण के बहाने तो कभी जातियों को तोड़ने-जोड़ने के बहाने नेताओं ने देश का बेड़ा गर्क ही किया है। 7-क्या शाहबानो कांड कोई भूल सकता है, जब इसी कांग्रेस ने संविधान की आत्मा का भी कत्ल कर दिया था। राजनीति में विरोध-प्रतिरोध जायज है। लेकिन कभी भूले-भटके आप राजनीतिक विरोध करते हुए ऐसी चीजों में भी शामिल नजर आने लगते हैं, जो देश विरोधी होने का संकेत देता है तो ये बात समझ से बाहर है। लेकिन इससे आगे बढ़ते हुए देश विरोध की चीजों में अगर कांग्रेस शामिल नजर आए तो ये बर्दाश्त से बाहर है। 8-वो भी वो कांग्रेस जिसके महान नेताओं महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और इन जैसे सैकड़ों-हजारों नेताओं ने इस देश को आजादी दिलाने में कई दशकों तक संघर्ष किया है। तो क्या सही वक्त नहीं आ गया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बातों को कम से कम इस समय पालन करते हुए कांग्रेस पार्टी को खत्म कर दिया जाए और राहुल गांधी और उनके तमाम समर्थकों को एक नई पार्टी बनाने के लिए कहा जाए।