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भारतीय बाजार पर ताइवान मशीन टूल्स बाजार में लेगा चीन की जगह 

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लम्बे समय से सीमा पर विवाद चल रहा है. लेकिन साथ ही चीन, भारत में लगातार अपनी कंपनियों के जरिये निवेश को बढाता जा रहा है. दोनों देशो के बीच विवाद के चलते भारत में लम्बे समय से आवाजें उठती रही हैं कि भारत को अब चीन के सामानों का निर्भर नही रहना चाहिए. तो क्या भारत आयात के लिए चीन का ऐसा विकल्प खोज रहा है जो उसे सस्ते दामों पर इलेक्ट्रिक कलपुर्जे और अन्य सामान उपलब्ध करा सके.

ताइवान भारत के मशीन टूल्स बाजार में ले सकता है चीन की जगह 

एक रिपोर्ट की माने तो ताइवान भारत के मशीन टूल्स बाजार में चीन के दबदबे को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। ताइवान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कलपुर्जे बनाने के मामले में दुनिया का प्रमुख केंद्र है और उसकी नजर भारतीय बाजार में ज्यादा हिस्सेदारी कब्जाने पर है। ताइवान के गोल्डन वैली इलाके को मशीन टूल्स निर्माण का गढ़ माना जाता है। यहां 1000 से अधिक कंपनियां और 10,000 से अधिक सप्लायर हैं। ऐसी मशीनों के निर्यात के मामले में ताइवान का दुनिया में 5वां स्थान है

इस मामले में ताइवानी दूतावास में कार्यकारी निदेशक (आर्थिक संबंध) हुंग यांग ने एक अख़बार से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर भारत सरकार से भी चर्चा की है। दोनों देशों के बीच हुई चर्चा के अनुरूप ताइवान की कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही हैं। इसके अलावा बेंगलूरु और हैदराबाद के आसपास विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए निवेश योजना पर भी बातचीत अग्रिम दौर में है। वैसे तो भारी मशीनों और इंजीनियरिंग टूल्स के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियां ही मुख्य रूप से भारत में निवेश कर रही हैं.

चीन भारत में सालाना  चार लाख करोड़ का सामान बेचता है 

ताजा आंकड़ों की माने तो चीनी कंपनियां भारत में सालाना चार लाख करोड़ का सामान बेचती है। जबकि भारत चीन को महज 68 हजार करोड़ का ही सामान बेचता है। चीन के खबर ग्लोबल टाइम्स ने खुद अपने एक लेख में लिखा है कि चीन अपने एक्सपोर्ट के लिए पूरी तरह भारत पर निर्भर हो चुका है। चीन का कंप्यूटर, स्मार्टफोन, आईपैड, केमिकल के लिए सबसे बड़ा बाजार भारत है।

चीन को लग सकता है झटका 

वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ताइवान के लिए चीन को चुनौती देना आसान नहीं है लेकिन हमने कारोबारियों को आयात में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित किया है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 51.09 अरब डॉलर पहुंच गया।चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में छपा एक लेख कहता है कि ‘अगर मोदी एक समझदार नेता हैं तो सिक्किम में भारत और चीन के बीच शुरू हुये तनाव से भारत और चीन के बीच स्थापित व्यापारिक रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ने देंगे’। फाइनेंशियल ईयर 2016-17 में चीन ने भारत को करीब 4.11 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट किया। इससे उलट भारत ने करीब 68 हजार करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट किया।

भारत में चीनी कंपनियों का दबदबा 

चीन के सबसे अमीर शख्स और अलीबाबा ग्रुप के फाउंडर जैकमा ने भारत में खासा इन्वेस्टमेंट किया है। उन्होंने मोबाइल वालेट पेटीएम में लगभग 68 करोड़ डॉलर का निवेश किया। सी तरह चीन की सबसे बड़ी ऑनलाइन ट्रैवल कंपनियों में से एक सीट्रिप ने ट्रैवल पोर्टल मेकमाईट्रिप में 18 करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया है। फोर्ब्स के मुताबिक, चीनी कंपनियों ने 2000 से मार्च 2016 के बीच भारतीय स्टार्टअप्स में 1.35 अरब डॉलर से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट किया।