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गौर फरमाइए- बीजेपी ने तो AAP की मदद की है, पार्टी को टूटने से बचाया है

नई दिल्ली। दिल्ली की सियासत उबाल मार रही है, इसके पीछे कारण भी है, आपके पास 66 हीरे हों, और अचानक से पता चले कि उनमें से 20 हीरे तो बेकार हैं, तो आप भी बौखला जाएंगे, उबलने लगेंगे, ऐसे कैसे हो गया, इसी तरह से आम आदमी पार्टी के साथ हो रहा है। लाभ के पद के मामले में AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो गई है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भेजी थी, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है, सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। बीजेपी और आप के बीच जोरदार बयानबाजी हो रही है, दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं,  इनके बीच में कांग्रेस ने एक नया ही मोर्चा खोल दिया है।

कांग्रेस नेता अजय माकन ने AAP के 20 विधायकों की सदस्यता जाने पर खुशी जताई है, साथ ही बीजेपी पर भी आरोप लगा दिया है, माकन ने कहा कि अगर ये फैसला राज्यसभा चुनाव के समय आता तो आम आदमी पार्टी अंदरूनी कलह के कारण टूट जाती, लेकिन बीजेपी और चुनाव आयोग के कारण ऐसा नहीं हो पाया, इशारों में माकन आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी ने आप की मदद की है, जिसके कारण आप में दो फाड़ नहीं हो पाई। ये आरोप अपने आप में हैरान करने वाला है, आप और बीजेपी के बीच सिर्फ एक रिश्ता हो सकता है वो है दुश्मनी का, दिल्ली में सरकार बनने के बाद से ही केजरीवाल के निशाने पर पीएम मोदी हैं, आज संविधान और मर्यादा की दुहाई देने वाली आम आदमी पार्टी के मुखिया देश के लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए प्रधानमंत्री को कायर और मनोरोगी तक करार दे चुके हैं।

अब इस पर कैसे यकीन कर लिया जाए जो अजय माकन कह रहे हैं, इसके अलावा कांग्रेस नेता ने और भी बहुत कुछ कहा है। उनका कहना है कि बीजेपी के कहने पर चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजने में एक महीने के देरी की, अगर राज्यसभा चुनाव के समय ये सिफारिश कर दी गई होती तो उस समय जैसा माहौल था उस में AAP टूट जाती, पार्टी के अंदर उस समय कलह जोरों पर थी, कुमार विश्वास खुल कर बगावती तेवर दिखा रहे थे, माकन का कहना सही हो सकता है, लेकिन अभी तक कई बार ऐसे मौके आए हैं जब लगा कि आम आदमी पार्टी टूटने वाली है, लेकिन वो नहीं हुआ। दिल्ली विधानसभा में बिना किसी उपस्थिति के कांग्रेस की वेदना समझी जा सकती है।

कहा जा सकता है कि बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की प्रबल इच्छा थी कि किसी भी तरह से लाभ के पद के मामले में फैसला जल्दी आए, जिस से विधायकों की सदस्यता जाए और फिर से चुनाव हों, चुनाव होने पर कांग्रेस को 20 में से कुछ सीटें तो मिल ही जाती, अब पहले वाला माहौल भी नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस ये कह रही है कि बीजेपी की मदद के कारण आप इतने समय तक बची रही। ये और बात है कि माकन के पास अपनी बातों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं था। कुल मिलाकर ये राजनीति का नया खेल है, जिस में जो मन में आए वो बोला जा रहा है, इसकी शुरूआत आम आदमी पार्टी ने की थी, अब बीजेपी औऱ कांग्रेस भी उसी राह पर चलते दिख रहे हैं।