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अखिलेश की रथ यात्रा …मुलायम व शिवपाल की विवशता या फिर नौटंकी …’रिटर्न ऑफ गुंडाराज’ फिर होगा क्या !

लखनऊ के सभी स्कूल बंद …ठेली-रेहडी वालों को चौराहों से हटाया गया .. शहर में अराजकता का माहौल ..प्रदेश का पूरा प्रशासन सरकारी काम छोड़ इस यात्रा को सफल बनाने में लगा … ड़ग्गामार बसों को खुली छूट दी गयी गई !!

suryapratap-150x150-1यह सब अखिलेश को आगे कर स्वच्छ छवि को आगे प्रस्तुत करने की कौशिश है। भ्रष्टाचार व अपराधियों को संरक्षण का ठीकरा शिवपाल के सिर फोड़ना एक रणनीति के तहत या फिर शज़िश के तहत जनता को मूर्ख बनाने के लिए किया जा रहा है …जनता को इस नौटंकी को समझना होगा। प्रदेश की जनता बेहाल है ….प्रतिदिन १०-१२ बलात्कार व १५ हत्याएँ दर्शाती है इस सरकार की असफलता।
अखिलेश द्वारा न कभी नयी पार्टी बनाने की छमता थी और न अकेले चलने का साहस। आगरा-लखनऊ इक्स्प्रेस्वे व मेट्रो का भ्रष्टाचार तो जाँच के बाद आएगा….कई लोग जेल जाएँगे यह तय है।
अखिलेश सरकार में ४७% अपराधी मंत्री हैं उन्हें अखिलेश ने क्यों मंत्री बनाया? और यदि भ्रष्ट मंत्रियों को हटाया गया तो गायत्री को क्यों वापिस लिया और भ्रष्ट मंत्रियों को क्यों नहीं हटाया? कोई जवाब है अखिलेश के पास।
भ्रष्ट मंत्रियों व अधिकारियों से घिरे अखिलेश कैसे स्वच्छ छवि का दावा कर सकते हैं…. टूटीं सड़कें, गंदे शहर,ध्वस्त शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था इस सरकार के विकास की पोल खोलने को काफ़ी है।
सैफ़ई परिवार के २८ सदस्य एम॰पी॰,एम॰एल॰ए॰ या उच्च पदों पर आसीन हैं… यह समाजवाद की नयी परिभाषा है…. जातिवाद व परिवारवाद।
भ्रष्ट engineer यादव सिंह, लखनऊ आगरा इक्स्प्रेस्वे के भ्रष्ट अधिकारियों व uppsc के भ्रष्ट अध्यक्ष अनिल यादव को संरक्षण अखिलेश के भ्रष्टाचार व जातिवाद के संरक्षण को दर्शाता है… सारे कार्यकाल में ख़ूब लूटा और अब चुनाव से पूर्व स्वच्छ छवि का छलावा जनता ज़रूर समझेगी।
riturnसपा गुंडो के ज़मीनों पर क़ब्ज़े…सामान्य घटना है। गन्ना किसानो का रु.११०० करोड़ लम्बित भुगतान, धान की ख़रीद की कोई व्यवस्था नहीं, बुंदेलखंड व पूर्वांचल की बदहाली किसी से छुपी नहीं …. फिर अखिलेश किस विकास की बात करते हैं… सैफ़ई का विकास ज़रूर हुआ… सब झूँट , कोरा झूँट… बेशर्मीभरा झूँट।
सपा के गुंडे,दलाल, चोर उच्चके फिर लूट-खसूट को फिर तैयार है… लामर्टिनीयर ग्राउंड की क्षमता लाखों की भीड़ की नहीं है …२० हज़ार की २ लाख की भीड़ कहना नेताओं की फ़ितरत है।
मैं कल ही ४ जनपदों के भ्रमण से वापिस आया हूँ … अत्याचारी व कदाचारी सपा सरकार से उत्तर प्रदेश की जनता अतिशीघ्र निजात पाना चाहती है…. लेकिन किसे लाया जाए यह अभी जनता ने तय नहीं किया है।
भाजपा में दलबदलू, भ्रष्ट अवसरवादी नेताओं को पार्टी शामिल करने व ईमानदार लोगों से दूरी से ज़मीनी कार्यकर्ता निराश है … अभी भाजपा क़ेडर में जोश का अभाव है… झंडा यात्रा के असफल होने से परिवर्तन यात्रा पर फ़ोकस किया जा रहा है..इसके सफलता की प्रतीक्षा है।
बसपा मुसलमान वोट के सपा से शिफ़्ट होने के इंतज़ार में है … कोंग्रेस अभी भी प्रभावहीन है ….अन्य दलों का कोई अस्तित्व नहीं है।
सपा व कोंग्रेस गठबंधन की राह पर है, जो इन पार्टियों के आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।