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क्या नीतीश की होगी एनडीए में वापसी, सुशील मोदी बोले- हम किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को स्वीकार नहीं करेंगे

महाराष्ट्र के राजनीतिक उथल-पुथल के बाद अब बिहार को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। भाजपा दावा कर रही है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में भी विद्रोह की स्थिति है। ऐसे में नीतीश कुमार कभी भी पाला बदल सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार एनडीए में शामिल होंगे? इसको लेकर सुशील मोदी ने बड़ा बयान दिया है। मोदी ने साफ तौर पर कहा है कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। हम उन्हें किसी भी कीमत पर एनडीए में शामिल नहीं करेंगे। आपको बता दें कि एक जनसभा में अमित शाह ने साफ तौर पर कहा था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे बंद हो गए हैं।

सुशील मोदी का बयान

सुशील मोदी ने अपने बयान में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुरुआत में ही साफ कर दिया कि हम किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को स्वीकार नहीं करेंगे। भले ही नीतीश कुमार बीजेपी के दरवाजे पर नाक रगड़ें, हम उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। बीजेपी उनका बोझ नहीं उठाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में भी बगावत की स्थिति बन रही है क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले 17 सालों में कभी भी विधायकों और सांसदों को मिलने का समय नहीं दिया। लोगों को साल भर इंतजार करना पड़ता था। अब वो प्रत्येक विधायक और सांसद को 30 मिनट दे रहे हैं। जब से नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को अगली लड़ाई के लिए नेता स्वीकार कर लिया और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया तभी से जनता दल में विद्रोह की स्थिति है।

नीतीश की एनडीए में वापसी!

पिछले तीन-चार दिनों की घटनाओं का विश्लेषण करें तो कई राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं, जो संकेत दे रही हैं कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा राजनीतिक संकट हो सकता है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए में वापसी कर सकते हैं। गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने पिछले साल अगस्त में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था और महागठबंधन से हाथ मिला लिया था। नीतीश कुमार की अपनी पार्टी के विधायकों के साथ आमने-सामने की बैठक ने भी सबका ध्यान खींचा है और उनके अगले कदम पर सस्पेंस बरकरार रखा है। नीतीश कुमार ऐसा जल्दी करते नहीं हैं। दावा किया जा रहा है कि जदयू के सांसद और विधायक नीतीश के महागठबंधन में जाने से नाराज हैं। जब अमित शाह ने लखीसराय का दौरा किया, तो नीतीश कुमार ने शाह के दौरे से दो दिन पहले अपने सभी विधायकों के साथ एक-एक बैठक करना शुरू कर दिया।