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संसद में संख्याबल कम होने के बावजूद क्या है विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव लाने के सियासी मायने?

नई दिल्ली सवाल उठ रहा है कि आखिर संसद में संख्याबल कम होने के बावजूद विपक्ष की तरफ से ये अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है? इसके क्या सियासी मायने हैं? आइए समझते हैं…

मणिपुर हिंसा मामले को लेकर विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए छह दिन हो चुके हैं और हर रोज सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही है। बुधवार को कांग्रेस और बीआरएस की तरफ से इसी मामले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय में नो कॉन्फिडेंस मोशन का नोटिस दिया। इसके अलावा तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी बीआरएस ने भी अलग से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

 

संसद में संख्याबल के हिसाब से देखें तो अभी मोदी सरकार काफी मजबूत स्थिति में दिखाई देती है। इसके बावजूद विपक्ष की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर संसद में संख्याबल कम होने के बावजूद विपक्ष की तरफ से ये अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है? इसके क्या सियासी मायने हैं? आइए समझते हैं…

पहले संसद में विपक्ष और सरकार के समर्थन में सांसदों की संख्या जान लीजिए
भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। अकेले भाजपा के 301 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 और राज्यसभा में 96 सांसद हैं। संख्याबल के हिसाब से दोनों सदनों में सत्ता पक्ष मजबूत है।

…तो विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया?
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं, ‘विपक्ष अभी किसी भी हालत में चर्चा के केंद्र बिंदु में बने रहना चाहता है। सरकार को हावी होने का कोई मौका विपक्ष नहीं देना चाहता है। विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि मणिपुर मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बयान दें। वहीं, सरकार ने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह इस मसले पर बयान देंगे। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए विपक्ष पीएम मोदी को संसद में बुलाने की कोशिश कर रहा है। कुल मिलाकर सारे विपक्षी दल पीएम मोदी को ही घेरना चाहते हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अभी पूरी एनडीए का सिर्फ एक चेहरा है और वह है पीएम मोदी का। ऐसे में भाजपा भी नहीं चाहती है कि किसी भी तरह से पीएम मोदी इस तरह की विवादों में फंसे। इसलिए सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही पीएम मोदी ने मीडिया के सामने मणिपुर कांड की निंदा की और सख्त कार्रवाई की बात भी कही।’

कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी एक नियम है। इसे नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जाता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को संसद में पेश करने के लिए करीब 50 सांसदों की जरूरत होती है। अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान 51 प्रतिशत से ज्यादा सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान कर दिया तो सरकार मुश्किल में पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में सरकार को बहुमत साबित करना होता है।

विपक्षी दलों ने क्या-क्या कहा? 
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘पीएम मोदी मणिपुर पर सदन के बाहर तो बात करते हैं, लेकिन सदन के अंदर नहीं बोलते। विपक्ष ने मणिपुर पर बार-बार सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन यह विफल रही। ऐसे में अब अविश्वास प्रस्ताव ही सही है।’

राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हम जानते हैं कि संख्या बल हमारे पक्ष में नहीं है लेकिन लोकतंत्र सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं है। मणिपुर जल रहा है और लोग पीएम के बोलने का इंतजार कर रहे हैं…शायद अविश्वास प्रस्ताव के बहाने उन्हें कुछ बोलने पर मजबूर किया जा सके। यही सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।

शिव सेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कोई अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है, कोई मणिपुर के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है। लोग सोच रहे हैं कि पीएम संसद में क्यों नहीं आ रहे हैं…अगर हमें पीएम को संसद में लाने के लिए इस अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, तो मुझे लगता है कि हम इस देश की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं।

सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव एक राजनीतिक उद्देश्य के साथ एक राजनीतिक कदम है। एक ऐसा राजनीतिक कदम जो परिणाम लाएगा… अविश्वास प्रस्ताव उन्हें (प्रधानमंत्री) संसद में आने के लिए मजबूर करेगा। हमें देश के मुद्दों पर, खासकर मणिपुर पर संसद के अंदर चर्चा की जरूरत है। संख्याओं को भूल जाइए, वे संख्याएं जानते हैं और हम भी संख्याएं जानते हैं…।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सांसद नामा नागेश्वर राव ने कहा कि हमने अपनी पार्टी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। सत्र शुरू होने के बाद से ही सभी विपक्षी नेता मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे थे। अगर प्रधानमंत्री इस पर बोलेंगे, तो देश के लोगों के बीच शांति होगी – इसलिए हमने प्रयास किए… इसलिए, आज यह प्रस्ताव लाया गया है।

सरकार की तरफ से क्या बोला गया? 
सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोगों को पीएम मोदी और भाजपा पर भरोसा है। वे (विपक्ष) पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। इस देश की जनता ने उन्हें (विपक्ष) सबक सिखाया है।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ‘अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है। हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं। सत्र शुरू होने से पहले वे चाहते थे चर्चा। जब हम सहमत हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। जब हम नियमों पर सहमत हुए, तो वे नया मुद्दा लेकर आए कि पीएम आएं और चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है कि ये सभी बहाने हैं।’