बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर राजनीति में लगातार चर्चाएं चलती रहती है। इंडिया गठबंधन के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार को लेकर फिलहाल दावा किया जा रहा है कि उनका एक बार फिर से भाजपा के साथ उनकी नजदीकी बढ़ रही है। इस बात को बल तब और मिल गया जब हरियाणा में देवीलाल की जयंती पर इंडियन नेशनल लोकदल के उस कार्यक्रम से नीतीश ने दूरी बना ली जिसमें विपक्ष के कई बड़े नेता शामिल होने वाले है। नीतीश कुमार इसकी जगह पटना में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होने पहुंच गए। इसी के बाद एनडीए से नजदीकियों को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई।
महिला बिल का किया था समर्थन
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि वह संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण के समर्थन में हैं, पर इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति (ईबीसी) के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व के प्रावधान होने चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्र से जनगणना कराकर महिला आरक्षण विधेयक के प्रस्तावों को लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने और जाति जनगणना की उनकी लंबे समय से जारी मांग पर विचार करने का आग्रह किया। नीतीश ने कहा, ‘‘मैं महिला आरक्षण के समर्थन में रहा हूं। उन्हें प्रतिनिधित्व का आश्वासन क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? जब मैं संसद का सदस्य था तब मेरे भाषण इसको लेकर मेरे रुख की गवाही देंगे।’’