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Karnataka Opinion Poll: बहुमत किसी को नहीं, कांग्रेस-BJP में अंतर न के बराबर

नई दिल्ली। कांग्रेस के हाथ में 5 साल से कर्नाटक की कमान होने से सत्ता विरोधी रूझान के बावजूद ग्रैंड ओल्ड पार्टी इस दक्षिणी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने जा रही है. हालांकि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा आने के आसार हैं. इंडिया टुडे- कार्वी इनसाइट्स ओपिनियन पोल के मुताबिक कांग्रेस जहां बहुमत के आंकड़े से कुछ ही सीट पिछड़ती नज़र आ रही है, वहीं, बीजेपी इस बार अपना घर एकजुट होने की वजह से 2013 विधानसभा चुनाव के मुकाबले कहीं अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है.

बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लोगों के रोष से जो नुकसान कांग्रेस को हो रहा था, उसकी काफी हद तक भरपाई मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने मौजूदा कार्यकाल के आखिरी दौर में कई सकारात्मक कदम उठा कर पूरी कर दी है. सिद्धारमैया को खुद भी राज्य के अधिकांश वोटरों ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पहली पसंद माना है.

इंडिया-टुडे कार्वी की ओर से 17 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कर्नाटक की सभी 224 सीटों के लिए कराए गए ओपनियन पोल के मुताबिक कांग्रेस 90 से 101 सीटों पर जीत का परचम लहराने जा रही है. ओपिनियन पोल का अनुमान है कि कांग्रेस को 2013 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 37%  वोट शेयर जितना ही वोट शेयर इस बार भी मिलने जा रहा है. इसके बावजूद कांग्रेस राज्य में बहुमत के लिए जरूरी 113 सीटों के जादुई आंकड़े से कुछ सीट पीछे रह जाएगी. कांग्रेस ने 2013 विधानसभा में 122 सीट हासिल कर कर्नाटक में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी.

ओपिनियन पोल में अनुमान लगाया गया है कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी भी 2013 विधानसभा चुनाव की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को कड़ी चुनौती देती नज़र आ रही है. ओपिनियन पोल के मुताबिक कर्नाटक में बीजेपी के खाते में 78 से 86 सीटें आती दिख रही हैं. बीजेपी को 2013 में कर्नाटक में 40 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि उस वक्त बीजेपी का अपना घर ही बंटा हुआ था. तब येदियुरप्पा ने अलग पार्टी केजीपी बना कर चुनाव लड़ा था और 6 सीट पर जीत हासिल की थी. इसी तरह श्रीरामुलु ने भी बीजेपी से अलग होकर बीएसआरसीपी बना कर चुनाव लड़ा था और 4 सीटों पर कामयाबी पाई थी. इस बार बीजेपी का घर एकजुट है.

ओपिनियन पोल के मुताबिक बीजेपी को 2013 के 32.6% वोट शेयर (केजीपी और बीएसआरसीपी का वोट शेयर मिलाकर) तुलना में इस बार 35% वोट शेयर मिलने जा रहा है.

जहां तक राज्य में तीसरी शक्ति मानी जाने वाली पार्टी जनता दल (सेक्युलर) यानि जेडीएस का सवाल है तो ओपिनियन पोल के मुताबिक ये पार्टी बीएसपी जैसे सहयोगी दल के साथ मिलकर 34 से 43 सीटों पर जीत हासिल करने जा रही है. 2013 विधानसभा चुनाव में जेडीएस को 40 सीट पर जीत हासिल हुई थी. ओपिनियन पोल के मुताबिक जेडीएस+ का वोट शेयर जरूर पिछले विधानसभा चुनाव के 21% से घटकर 19% रहने जा रहा है. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राज्य के 39 फीसदी वोटर मानते है कि जेडीएस को कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाने चाहिए. सीधा अर्थ है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडीएस किंगमेकर की भूमिका निभाती नजर आ सकती है.

ओपिनियन पोल के मुताबिक कर्नाटक में अन्य को 4 से 7 सीटें मिलने का अनुमान है. इंडिया टुडे-कार्वी पोल के लिए कर्नाटक की सभी 224 सीटों में फैले 27,919 प्रतिभागियों के सेम्पल लिए गए. ओपिनियन पोल दिखाता है कि कांग्रेस के लिए राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरना और पिछले चुनाव के वोट शेयर को बरकरार रखना बड़ी उपलब्धि है क्योंकि पिछले तीन दशक से कर्नाटक में किसी भी विधानसभा चुनाव में राज्य के लोगों ने कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी को लगातार दोबारा सत्ता में वापस नहीं किया है.

जहां तक मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद का सवाल है तो ओपिनियन पोल के मुताबिक मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हक में ही सबसे ज्यादा वोटर नजर आ रहे हैं. सिद्धारमैया को 33%  वोटरों ने मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद माना है. बीजेपी के येदियुरप्पा को 26%  वोटरों ने मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद किया है. बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के पद के लिए जगदीश शेट्टर, अनंत कुमार हेगड़े और सदानंद हेगड़े के नाम भी सामने हैं लेकिन लोकप्रियता के मामले में वो येदियुरप्पा से कहीं पीछे हैं.

मुद्दों की बात की जाए तो कर्नाटक के वोटरों में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ रोष है. लेकिन कांग्रेस को इस नुकसान की भरपाई मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में उठाए गए कुछ सकारात्मक कदमों से होती नजर आ रही है.

कर्नाटक के आधे से ज्यादा वोटर मानते हैं कि सिद्धारमैया ने राज्य में सूखे की समस्या को अच्छी तरह से निपटा. ओपिनियन पोल के मुताबिक 73 फीसदी वोटरों ने स्कूलों में कन्नड भाषा को अनिवार्य बनाए जाने का समर्थन किया है. इसके अलावा कर्नाटक राज्य का अलग झंडा लाए जाने का भई 59%  वोटरों ने समर्थन किया है. कर्नाटक के वोटरों का अच्छा खासा हिस्सा ये मानता है कि कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया, उससे कांग्रेस को इस चुनाव में फायदा मिलेगा.

वोटर ऐसा मानते लगते हैं कि राहुल गांधी के मंदिरों में जाने से कांग्रेस को फायदा मिलेगा. 42% वोटर मानते हैं कि राहुल के मंदिरों में जाने की वजह से कांग्रेस की चुनाव में संभावनाएं अच्छी होंगी.

जहां तक बीजेपी का सवाल है तो ओपिनियन पोल में 50%  से ज्यादा वोटरों ने माना कि बीजेपी को देश के दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली जीत से कर्नाटक में फायदा होगा. इतने ही वोटरों का ये भी मानना है कि बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल में सिद्धारमैया सरकार पर ‘10 फीसदी कमीशन’ के लिए काम करने का आरोप लगाने का भी लाभ मिलेगा. हालांकि 40 फीसदी वोटरों का ये भी मानना है कि येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के पुराने आरोपों से बीजेपी की इस चुनाव में संभावनाओं पर असर पड़ेगा.

बता दें कि इस ओपिनियन पोल के लिए सैम्पल इस साल 17 मार्च से 5 अप्रैल के बीच लिए गए थे. उसके बाद राज्य में दो अहम घटनाक्रम हुए- एक तो लिंगायत धर्मगुरुओं के फोरम की ओर से कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को समर्थन देना. इसी तरह लेफ्ट फ्रंट की तरफ से भी ये ऐलान किए जाना कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में वो अपने उम्मीदवार नहीं खड़े करेगा, वहां कांग्रेस को समर्थन देगा. इन दोनों घटनाक्रमों का कितना असर होता है, उसका आकलन इस ओपिनियन में शामिल नहीं है.

साभार: आजतक