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‘चाचा शिवपाल’ जहां से जलील हुए खुद अपना वजूद मिटाकर वहीं चले गये: राजभर

लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘‘चाचा शिवपाल जहां से जलील हुए खुद अपना वजूद मिटाकर वहीं चले गये।” सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के पुत्र एवं पार्टी के राष्‍ट्रीय मुख्‍य प्रवक्‍ता अरुण राजभर ने मंगलवार को शिवपाल के बयान पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया, ‘‘चाचा शिवपाल यादव अपना एक पीएसपीएल (प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) नाम की दुकान खोलकर बैठे थे, चल नहीं पायी तो बंद कर दिये, खुद वजूद अपना मिटाकर जहां से जलील हुए वहीं चले गये।’

 सपा द्धारा जारी ज्ञापन को भी राजभर ने किया साझा
राजभर ने अपने सिलसिलेवार ट़वीट में कहा, ‘‘जब तक सपा में नहीं शामिल हुए थे चाचा शिवपाल यादव तब तक सपाई उनको भाजपा का ‘बी टीम’ ही मानते थे और सम्मान दूसरे जगह दिलाने के लिए चिट्ठी लिखते थे, जिस सम्मान को लेने गये आज तक वह सम्मान नहीं मिल पाया, न मिलेगा।” इसी ट़वीट में राजभर ने समाजवादी पार्टी का पिछले वर्ष 22 जुलाई का एक ज्ञापन भी साझा किया जिसमें राष्ट्रपति चुनाव के बाद चाचा-भतीजा (शिवपाल सिंह यादव- अखिलेश यादव) के बीच टकराव तेज होने के बाद सपा ने ज्ञापन जारी करके कहा था ‘‘माननीय शिवपाल सिंह यादव अगर आपको लगता है कि कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।”

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद चाचा-भतीजे में मतभेद हुआ खत्म
उन दिनों चाचा-भतीजा के बीच काफी टकराव था, लेकिन सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दोनों के बीच मतभेद खत्म हुए। दोनों में नजदीकी बढ़ी और मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के चुनाव प्रचार में जमकर मेहनत की। डिंपल रिकार्ड मतों से जीत गयीं। इसके बाद शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिये। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में जसवंत नगर से वह सपा के चिह्न पर ही विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं।

 राजभर हमेशा से भाजपा के सम्पर्क में रहे हैं: शिवपाल 
दरअसल, शिवपाल यादव मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, तब उनसे यह सवाल किया गया कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया है कि सपा के बहुत से विधायक उनके संपर्क में हैं। इस पर शिवपाल ने कहा,, “हम उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। वह हमेशा से भाजपा के सम्पर्क में रहे हैं। वह कभी भाजपा से अलग थे ही नहीं। हमेशा बोलते ही रहते हैं और फिर जब चुनाव आते हैं तो उनकी दुकान फिर से चलनी शुरू हो जाती है।

यादव ने दावा किया कि वह राजभर के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र जहूराबाद (गाजीपुर) का सिर्फ एक बार दौरा करेंगे और राजभर को अगला चुनाव लड़ने के लिए नया विधानसभा क्षेत्र ढूंढना पड़ेगा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने भाजपा गठबंधन से मिलकर चुनाव लड़ा और उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में ओमप्रकाश राजभर समेत चार विधायक उनकी पार्टी के जीते। राजभर को मंत्री बनाया गया लेकिन कुछ ही समय बाद मतभेद के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा और फिर वह भाजपा के विरोध में मुखर हो गये। 2022 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने सपा से मिलकर चुनाव लड़ा और छह विधायक जीते। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान राजभर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ खड़े हो गये और तबसे उनके भाजपा से तालमेल की लगातार अटकलें चलती रहती हैं।