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लोकसभा में बोले सीएम योगी- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था, देश की प्रगति का मार्ग गांव, गलियों, खेत और खलिहानों से होकर जाता है

उत्तर प्रदेश विधानमंडल का मानसून सत्र काफी सकारात्मक रहा। इस दौरान खासतौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच लगभग हर रोज किसी ना किसी मुद्दे पर बहस देखने को मिली। सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में जब अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोला तो मुख्यमंत्री ने दुष्यंत कुमार और तुलसीदास जी की पंक्तियों को उद्धृत कर जोरदार पलटवार किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मानसून सत्र में देश के अन्नदाता किसानों के विषय पर सदन में तीन दिवसीय चर्चा का आयोजन किया। कुल 33 सदस्यों ने बाढ़ और सूखा जैसे विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखे। योगी ने कहा कि पिछले एक घंटे से मैं नेता विरोधी दल के विचारों को सुन रहा था और एक घंटे के भाषण में बाढ़ और सूखा से संबंधित मुद्दों पर उन्हें सिर्फ गोरखपुर का जल जमाव याद आया और बाकी कुछ भी नहीं। उन्होंने कहा कि नेता विरोधी दल के वक्तव्य को देखकर यही लगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 का जो जनादेश है वो जनता ने ऐसे ही नहीं दिया। दुष्यंत कुमार ने इस पर बहुत अच्छी बात कही है कि तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं और कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं। उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने ये बात कही भी है कि समरथ को नहीं कोई दोष गोसाईं…ऐसे ही लोगों पर बातें अक्षरशः ठीक बैठती हैं, क्योंकि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं वो गरीब-किसान-दलित की समस्या और उसकी पीड़ा को क्या समझेंगे। उन्होंने अति पिछड़ों और पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार किया था, ये पूरा देश जानता है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महान किसान नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि देश की प्रगति का मार्ग इस देश के गांव, गलियों, खेत और खलिहानों से होकर जाता है। चौधरी चरण सिंह की बातों को वास्तव में समाजवादी पार्टी ने अपने कालखंड में थोड़ा भी ध्यान में रखा होता तो उत्तर प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक किसानों ने उनके कालखंड में आत्महत्या नहीं की होती। उन्होंने कहा कि मुझे चौधरी चरण सिंह की बातों के साथ ही महान साहित्यकार राम कुमार वर्मा जी की पंक्तियां याद आती हैं जिन्हें ध्यान में रखकर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है। यह देश के अन्नदाता किसानों के लिए समर्पित पंक्तियां थीं कि हे ग्रामदेवता नमस्कार, सोने चांदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार। सोना-चांदी से प्यार करने वाले लोग अन्नदाता किसान के महत्व को नहीं समझेंगे। उसकी पीड़ा को भी नहीं समझ पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर भारत की खेती की बात होती है तो नेता विरोधी दल, उससे बाड़ी शब्द भी जुड़ता है। पशुपालन भी उसका पार्ट है। और जिस सांड़ की आप बात कर रहे हैं न वो भी उसी का हिस्सा है। आपके समय में वो बूचड़ खाने के हवाले होता था, हमारे समय में यही पशु धन का पार्ट बना हुआ है। उन्होंने कहा कि लगता है पेपर की कटिंग पर होमवर्क करते समय शिवपाल जी ने कुछ पुरानी कटिंग भी बीच में रखवा दी थीं। क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब परिवार में सत्ता का संघर्ष बढ़ता है तो कुछ न कुछ चीजें तो सामने आएंगी। शिवपाल जी ने इतना पापड़ बेला है तो कुछ तो सामने आएगा। शिवपाल जी के प्रति हमारी सहानुभूति है। आपके साथ अन्याय हुआ है। आपके साथ ये लोग न्याय करेंगे भी नहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में अमूमन 15 से 20 जून तक मानसून प्रवेश कर जाता था। इस वर्ष प्रारंभिक बारिश को छोड़ दें तो बारिश अनुकूल और अच्छी नहीं कही जा सकती है। हमने पहले ही बैठक करके अपनी रणनीति बनाई है। हिमालयी नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, इससे काफी फसलों को नुकसान पहुंचा है। उसके आंकलन के आदेश भी दिये गये हैं। उसपर कार्रवाई आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद यूपी की स्थिति देश के अन्य राज्यों से काफी अच्छी है। यूपी देश का और दुनिया का अकेला ऐसा भूभाग है जहां 86 प्रतिशत भूमि, नगरों, सरकारी और निजी नलकूपों से सिंचित है। कृषि बोआई का सामान्य प्रतिशत 88 प्रतिशत फसलों की बोआई हो गई है। धान की नर्सरी भी लगभग 100 फीसदी लग चुकी है, कम बारिश के कारण इसमें नुकसान हुआ होगा, मगर सरकार की कार्रवाई इसपर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा और अतिरिक्त विकल्प होने का परिणाम ये है कि देश के कुल कृषि भूमि का 11 प्रतिशत यूपी के पास है। आबादी का 16 फीसदी यूपी में निवास करती है। मगर खाद्यान का कुल उत्पादन 20 अन्न उत्पादन यहां का किसान करता है। ये दिखाता है कि प्रदेश का किसान अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से उत्पादन को आगे बढ़ाने में कोताही नहीं करता। सरकार किसानों को अधिक से अधिक सुविधा देने का प्रयास करती है।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बाढ़ और सूखा से आपदा की चपेट में आए 4500 किसानों को पहले चरण में अबतक मुआवजा देने का कार्य किया है। 2017 में सरकार ने 61320 किसानों को लगभग 60 करोड़ का मुआवजा उपलब्ध कराया था। इसी प्रकार 2018-19 में भी 384113 किसानों को 212 करोड़ का मुआवजा दिया गया, जिसमें से ज्यादातर सूखे से पीड़ित थे। 2019-20 में भी 64 करोड़ 32 लाख का मुआवजा अन्नदाता को प्रदान किया गया। 2020-21 में 120 करोड़ का मुआवजा 362600 से अधिक किसानों को प्रदान किया गया। 2021-22 में 475 करोड़ रुपए 1394900 से अधिक किसानों को कंपनसेशन दिया। 2022-23 में प्रदेश के 427 करोड़ रुपए 1214000 किसानों को मुआवजा दिया गया। अबतक 8400 से अधिक किसानों को प्रदेश सरकार बाढ़ के कारण क्षति का मुआवजा दे चुकी है।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बाढ़ और सूखा के अलावा अन्य अनेक कदम उठाए हैं। कैसे इनसे बचाव किया जा सकता है। इस बार पश्चिमी यूपी में बाढ़ आई मगर 40 से ज्यादा जनपदों में सूखा देखने को मिला। बहुत सी जगह सिंचाई और पॉवर कॉर्पोरेशन ने अपने स्तर पर कार्य किये। नोडल अधिकारियों और प्रभारी मंत्रियों ने जनपदों के दौरे किये। प्रदेश सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के राहत के कार्य किये।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 में मैं पहली बार सीतापुर और लखीमपुर में बाढ़ पीड़ितों से मिलने गया तो पता लगा कि उन्हें सूखे ब्रेड दिये जाते थे। कोई राहत नहीं, कोई मुआवजा नहीं। आपदा राहत का पैसा बंदरबांट हो जाया करता था। मैंने उसी दिन बैठक ली और राहत किट तैयार करने का निर्णय लिया। जिसमें 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 10 किलो आलू, दाल, नमक, दियासलाई, मसाले, केरोसिन ये सभी कुछ उपलब्ध कराने की व्यवस्था की और महिलाओं को डिग्निटी किट भी उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 26964 ड्राई राशन किट बाढ़ पीड़ितों को उपलब्ध कराया गया। 2550 डिग्निटी किट प्रदान किए गए। 909 बाढ़ शरणालय बनाये गये। पशुओं के लिए चारे भी बनाये गये। प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल कैंप, पशुओं का टीकाकरण, अतिरिक्त नौकाओं की व्यवस्था की गई। प्रशासन की कार्रवाई और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता से पब्लिक में संतुष्टि का भाव देखने को मिला।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में 403 एमएम बरसात को सामान्य माना जाता है, मगर पिछले कुछ वर्ष से देखने को मिला है कि मौसम चक्र में विसंगति का दुष्प्रभाव सबसे अधिक अन्नदाताओं पर पड़ता है। 403 एमएम बारिश में से अब तक 303 एमएम बारिश हुई है। मगर ये बारिश एक बार में हुई है।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इन्सेफलाइटिस से पूर्वी यूपी में चालीस साल में 50 हजार बच्चों की मौत हुई थी। चार बार सपा को प्रदेश की सत्ता संभालने का मौका मिला था। 90 फीसदी मरने वाले बच्चे दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ी जाति के थे, क्या यहां पीडीए नहीं था। तब क्या कर रहे थे चार बार के आपके मुख्यमंत्री। और आपको तो पांच साल का मौका मिला था। उन्होंने कहा कि मुझे ये बताने में गर्व होता है कि हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इन्सेफेलाइटिस का समूल नाश कर दिया। आज आप जाइए गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोंडा, पीलीभीत, लखीमपुर और सहारनपुर तक इंसेफेलाइटिस समाप्त हो चुका है। बस घोषणा होना बाकी है। उन्होंने कहा कि आज सरकारी अस्पताल में मरीज इसलिए आ रहा है कि उसे दवाएं मिल रही हैं और डॉक्टर मिल रहा है। आपके समय में न दवा थी, न डॉक्टर थे। अपनी विफलता को छिपाने के लिए आपको वहां किसी गरीब का आना और उसे आयुष्मान भारत सुविधा के अंतर्गत 5 लाख की बीमा की सुविधा मिलना बुरा लगता है।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के अंदर 10 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत की सुविधा मिल रही है वो आपके लिए जाति हो सकती है, वोट बैंक का मुद्दा हो सकता है। हमारे लिए यूपी का नागरिक परिवार का हिस्सा है। हमें विरासत में जर्जर व्यवस्था मिली थी, उसे सुधारने में वक्त जरूर लगेगा मगर वहां उमड़ती भीड़ ये बताती है लोगों का इस व्यवस्था में विश्वास भी बढ़ा है। वहां पहले से सुविधा बेहतर हुई है। पब्लिक को आपमें विश्वास ही नहीं था इसलिए आपको नकार दिया।