उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस राजनीतिक सक्रियता से काम कर रहे हैं उसको देखकर उत्तर प्रदेश भाजपा ही नहीं बल्कि पार्टी के केंद्रीय नेता भी हैरान हैं। हम आपको बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के कुछ साथियों के साथ बैठक कर उन्हें इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कुछ जिम्मेदारियां सौंपी थीं। उसके बाद से मुख्यमंत्री रोजाना इन मंत्रियों के साथ संवाद कर उपचुनाव वाली सीटों की जमीनी स्थिति का आकलन कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्रदेश भर के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से यह भी पूछा गया है कि पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण क्या थे? बताया जा रहा है कि अब तक मिले 50000 सुझावों के आधार पर एक रिपोर्ट बना कर मुख्यमंत्री को दी गयी है जिसके बाद योगी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक युवाओं के बीच नाराजगी का एक बड़ा कारण था इसलिए उपचुनावों की घोषणा से पहले ही पुलिस भर्ती परीक्षा की नई तारीख घोषित कर दी गयी है। बताया जा रहा है कि उपचुनावों की तारीखें सामने आने से पहले कई और बड़ी घोषणाएं की जाएंगी जिससे माहौल पूरी तरह बदल सकता है।
हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की इस सप्ताह दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक भी होनी है जिसमें प्रदेश में भाजपा को फिर से मजबूत करने का रोडमैप प्रस्तुत किया जायेगा। जहां तक 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की बात है तो आपको बता दें कि इसमें से तीन भाजपा के पास थीं जबकि पांच समाजवादी पार्टी के पास और एक-एक सीट एनडीए के सहयोगी दलों- राष्ट्रीय लोक दल और निषाद पार्टी के पास थी।
बहरहाल, भाजपा का प्रयास है कि लोकसभा चुनावों में बड़ी ताकत बन कर उभरे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से पांचों सीटें उपचुनाव में छीन ली जायें। देखना होगा कि योगी अपने इस मिशन में कितना सफल हो पाते हैं क्योंकि अब मसला सिर्फ भाजपा या एनडीए की जीत का नहीं बल्कि योगी की प्रतिष्ठा का भी बन गया है।