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AAP के मुश्किल वक्त में एक्शन से दूर राघव चड्ढा, विंबलडन में अपनी छुट्टियों का आनंद ले रहे हैं

आम आदमी पार्टी (आप) के दिग्गज राघव चड्ढा को रविवार को विंबलडन 2024 पुरुष फाइनल में अपनी उपस्थिति के बाद भारत में नेटिज़न्स और विपक्षी नेताओं से महत्वपूर्ण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। चड्ढा ने अपनी पत्नी, अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा के साथ कार्लोस अलकराज और नोवाक जोकोविच के बीच बहुप्रतीक्षित मैच में भाग लिया। चड्ढा और परिणीति को वीआईपी बॉक्स में देखा गया, जहां टिकट की कीमतें आश्चर्यजनक रूप से ₹18 लाख से ₹25 लाख तक हो सकती हैं, जो कार्यक्रम की विशिष्टता और प्रतिष्ठा को उजागर करती हैं।

विंबलडन में चड्ढा की उपस्थिति पर विभिन्न हलकों ने नाराजगी जताई, खासकर भारत में मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए। आलोचकों ने उनकी यात्रा के समय पर सवाल उठाया, यह देखते हुए कि आप नेता अरविंद केजरीवाल इस समय दिल्ली की जेल में हैं। अपनी पार्टी के आंतरिक संघर्षों की पृष्ठभूमि के खिलाफ चड्ढा की शानदार सैर लोगों को पसंद नहीं आ रही है, जिससे सोशल मीडिया और विपक्षी नेताओं में आलोचना की लहर दौड़ गई।

केआरके ने एक्स पर लिखा कि जब कुछ सालों पहले राघव चड्ढा ने अपना पहला चुनाव लड़ा, तो वो दिल्ली के सबसे ग़रीब प्रत्याशी थे! कुछ सालों में ही इसके पास सैकड़ों करोड़ रुपये आ गए और ये ₹10 Lakh का ticket ख़रीद कर विंबलडन देखने के क़ाबिल बन गया! ये इस बात का सबूत है, कि राजनीति में कितना पैसा है, और कितनी लूट है! एक यूजर ने लिखा कि एक आम आदमी जिसके बैंक खाते में 2020 में सिर्फ 20000 रुपये थे, उसे कल विंबलडन टिकटों पर 18,00,000 रुपये खर्च करते देखा गया।

एक्स पर एक यूजर ने पूरी कहानी लिखते हुए कहा कि राघव चड्ढा विंबलडन में अपनी छुट्टियों का आनंद ले रहे हैं, जबकि आप के सीएम केजरीवाल और कई कैबिनेट मंत्री जेल में हैं, जिससे दिल्ली के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इस स्थिति को देखते हुए इस सरकार का बने रहना अनुचित लगता है। ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता माने जाने वाले राघव चड्ढा अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं। सरकार को अपनी विफलताओं के बावजूद सत्ता से चिपके रहने के बजाय इस्तीफा दे देना चाहिए, खासकर जब इतने सारे नेता जेल में हैं।

जब से अरविंद केजरीवाल जेल में गए हैं, तब से राघव चड्ढा को लेकर सुर्खियां जारी है। दरअसल, राघव चड्ढा अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं। लेकिन पार्टी की मुश्किलों के दौरान वह लंदन में थे। दिल्ली चुनाव के आखिरी समय में वहां वापस लौटे, इसके बाद वह फिर से राजनीतिक परिदृश्य से गायब है। लगातार मीडिया में पार्टी का पक्ष मजबूती से रखने वाले राघव चड्ढा पिछले तीन-चार महीने से राजनीतिक सुर्खियों से गायब है। वह अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ भी मजबूती से सामने नहीं आए हैं। यही कारण है कि राघव चड्ढा के सियासी भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। राघव चड्ढा ने कैम्ब्रिज इंडिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया और विभिन्न विषयों विशेषकर भारतीय राजनीति पर अपने विचार रखे।