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हाथरस भगदड़ कांडः अदालत में दाखिल चार्जशीट में भोले बाबा का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति है: मायावती

लखनऊ। बसपा सुप्रीमो ने 3 अक्टूबर बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि हाथरस में 2 जुलाई को हुए सत्संग भगदड़ कांड में 121 लोगों की मृत्यु हो गई थी, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। इस    घटना की जांच के बाद अदालत में दाखिल चार्जशीट में भोले बाबा का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति है, जिससे साबित होता है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण है। उन्होंने इसे अनुचित करार देते हुए आगे लिखा कि मीडिया के अनुसार सिकन्दराराऊ की इस दर्दनाक घटना को लेकर 2300 पन्नों की चार्जशीट में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है। लेकिन बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह चुप्पी क्या उचित है। ऐसे सरकारी रवैये से आगे ऐसी घटनाओं को रोक पाना क्या संभव होगा। इसे लेकर आमजन चिंतित है।

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार के संरक्षण की वजह से हाथरस कांड की चार्जशीट में सूरज पाल सिंह उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं है। बता दें कि हाथरस कांड के बाद बसपा ने सबसे पहले भोले बाबा की भूमिका की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की थी।

हाथरस भगदड़ केस में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (हत्या के बराबर न होने वाली गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्य मिटाना) के तहत दर्ज की गई थी। सितंबर महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में आरोपी दो महिलाओं को सशर्त अंतरिम जमानत दी थी। इन महिलाओं के नाम मंजू देवी और मंजू यादव है। हालांकि 9 आरोपी अभी भी कस्टडी में हैं।

इससे पहले मामले की जांच कर रही एसआईटी ने भगदड़ में हुई मौतों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद 6 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। इन अधिकारियों में सर्किल ऑफिसर सिकंदर राव, आनंद कुमार, सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार और दो सब इंस्पेक्टर मनवीर सिंह और बृजेश पांडे शामिल हैं। इन लोगों को ड्यूटी में लापरवाही का दोषी पाया गया था। हालांकि एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा पर कोई सवाल नहीं उठाया है।उस हादसे को लेकर पुलिस ने आज 3200 पेज की चार्जशीट दाखिल की। जिसमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें कार्यक्रम के आयोजक देव प्रकाश मधुकर और अन्यलोग शामिल हैं। लेकिन उस चार्जशीट में भोले बाबा का नाम ही नहीं है।