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सावधान ! नोटबंदी की “मार” ही नहीं “मोदी सरकार” की ये “नई चोट” भी आपको देगी बहुत “दर्द”, क्या आप हैं तैयार ?

pm-modi-exclusiveनई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोटों का चलन बन्द करने एवं नए 2000 के नोटों को लाने के फैसले को बड़े इकॉनॉमिक रिफॉर्म के तौर पर देखा जा रहा है। दिग्गज अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस फैसले से कई तरह के बदलाव होंगे। लेकिन ये फैसला मोदी सरकार की शुरुआत भर है, और अब संभावना है कि सरकार एक ऐसा फैसला ले सकती है जो कालाधन और भ्रष्टाचार से हासिल की गई संपत्ति रखने वालों के बीच हड़कंप मचा देगा। आइए आपको बताते हैं कालेधन के खिलाफ जंग में अगला कौन सा कदम उठा सकती है सरकार।

कालेधन को लेकर मोदी सरकार सख्‍त नजर आ रही है। विमुद्रीकरण के जरिये 1000 और 500 रुपये के नोट हटाकर सरकार ने कालाधन रखने वालों को इसका संकेत दे दिया है। कालाधन पर इस तरह की कार्रवाई से जनता को परेशानी तो हुई है लेकिन देश की 50 फीसदी से ज्‍यादा जनता सरकार के इस कदम को सही मान रही है। लिहाजा इस कार्रवाई के बाद अब सरकार भ्रष्‍टचारियों और संपत्‍तियों में निवेश कर कालेधन को सुरक्षित रखने वालों पर कार्रवाई करने के लिए कदम उठाने जा रही है। दरअसल, सरकार अब बेनामी संपत्‍तियों को निशाना बनाने जा रही है। यानी की वे संपत्‍तियां जिनकी जानकारी लोगों ने सरकार को नहीं दी है, सरकार आपसे उनका हिसाब मांग सकती है। जाहिर है कानून पास हो चुका है।

आपको बता दें कि बेनामी संपत्ति‍ उस संपत्त‍ि को कहते हैं जो बिना नाम के होती है। दरअसल, इस संपत्‍ति के लिए लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता है, जिसने संपत्त‍ि की कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी दूसरे शख्स के नाम पर होता है। यह संपत्त‍ि परिवार के सदस्‍यों, पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी गई होती है। आपको बता दें कि बेनामी संपत्‍ति का बिल इस 1 नवंबर से देशभर में कानून के रूप में लागू हो गया है।

बता दें कि बेनामी संपत्‍ति और किसी भी तरह के बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बेनामी लेनदन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने इसमें संशोधन किए हैं।

दरअसल, मोदी सरकार ने 2015 में इस कानून में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव पारित किया और बीते अगस्त संसद के मॉनसून सत्र में इस अधिनियम में संशोधन कर इसे मंजूरी दे दी गई जबकि हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दे दी। बता दें कि ये बिल अब कानून के रूप में 1 नवंबर 2016 से लागू हो चुका है।

बेनामी संपत्‍ति में कालेधन का निवेश कर बचने वालों के लिए यह कानून बेहद मुश्‍किल पैदा करेगा। बेनामी बिल प्रावधानों के तहत बेनामी संपत्ति मिलने पर सात साल कैद की सजा हो सकती है और बेनामी संपत्ति के मार्केट वैल्यू के 25 फीसदी तक जुर्माना हो सकता है। गलत जानकारी देने पर पांच साल तक की सजा हो सकती है और संपत्ति की 10 फीसदी तक जुर्माना हो सकता है। अब इनकम डिस्‍क्‍लोजर स्कीम में बेनामी संपत्ति बतानी होगी। ऐसी संपत्ति के खुलासे के बाद कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि सरकार ने यह साफ किया है कि इस कानून से धार्मिक ट्रस्‍टों से जुड़ी संपत्‍तियों को दूर रखा गया है।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में आने के बाद से कालेधन और भ्रष्‍टाचार को लेकर सख्‍त रवैया दिखा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस सरकार की सबसे अहम खासियत यह है कि यह कानून को अमल में लाने की दृढ़ इच्‍छाशक्‍ति रखती है। आपको बता दें कि 500 और 1000 रुपये के नोटबंदी के फैसले ने पूरे देश को हैरत में डाल दिया है। माना जा रहा है कि सरकार अपने कानूनों को लागू करवाने के लिए सख्‍ती से पेश आने जा रही है।

ऐसे में इसी नवंबर की 1 तारीख से बेनामी संपत्ति कानून पास हो गया है और जानकारों का मानना है कि सरकार जल्द ही इस कानून को लेकर भी सख्ती दिखा सकती है। यदि ऐसा होता है तो बीते कुछ दशकों में बेनामी संपत्ति में कालाधन निवेश करने वालों के लिए मुश्किलें पैदा होने वाली हैं। बता दें कि आर्थिक जानकारों का मानना है कि भारत में सबसे ज्‍यादा कालाधन रियल स्‍टेट सेक्‍टर में ही आया है।