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वैश्विक उत्सर्जन में भारत का हिस्सा केवल चार प्रतिशत, 2070 तक ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन का लक्ष्य है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत की प्राथमिक ऊर्जा मांग 2045 तक दोगुनी हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने वैश्विक समस्याओं के समक्ष भारत की ऊर्जा प्रबंधन रणनीति का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हुईं है। उन्होंने कहा कि भारत में अगले पांच-छह वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में 67 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश होगा। सरकारी सुधार घरेलू प्राकृतिक गैस उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं; 2030 तक ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक उत्सर्जन में भारत का हिस्सा केवल चार प्रतिशत, 2070 तक ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि आज जब हम पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता की बात करने के लिए एकजुट हुए हैं, टिकाऊ भविष्य के बारे में बात करने जा रहे हैं। इसके लिए गोवा बहुत ही परफेक्ट डेस्टिनेशन है। मोदी ने कहा कि इस वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में भारत की GDP दर 7.5 फीसदी से अधिक हो गई है। भारत आज विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में, IMF ने भी ये भविष्यवाणी की है कि हम ऐसे ही तेजी से आगे बढ़ेंगे। आज पूरी दुनिया के विशेषज्ञ ये मान रहे हैं कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। उन्होंने कहा कि आज भारत अपने यहां 21वीं सदी का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है। हम बुनियादी ढांचा निर्माण मिशन पर काम कर रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर करीब 10 लाख करोड़ रुपये इन्वेस्ट कर रहे हैं। 1 सप्ताह पहले आए भारत के बजट में हमने अब इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक के खर्च का संकल्प लिया है। इसका एक बड़ा हिस्सा ऊर्जा क्षेत्र के खाते में जाना तय है।

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने जो रिफॉर्म्स किए हैं, उससे भारत में घरेलू गैस का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। हम प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में नेचुरल गैस की हिस्सेदारी को 6% बढ़ाकर 15% तक करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिपत्र अर्थव्यवस्था भारत की प्राचीन परंपरा का हिस्सा रही है। पुनर्प्रयोग का कांसेप्ट भी हमारे जीने के तरीके से जुड़ा हुआ है। ये बात ऊर्जा क्षेत्रसे भी उतनी ही जुड़ी हुई है। पिछले वर्ष G20 समिट में हमने जिस वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन को शुरू किया था, वो हमारी इसी भावना का प्रतीक है। इस गठबंधन ने पूरे विश्व की सरकारों, संस्थाओं और इंडस्ट्रीज को एक साथ इकट्ठा कर दिया है।