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‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर संसदीय समिति में आम राय नहीं, विपक्ष ने प्रस्ताव पर उठाए सवाल

नई दिल्ली।  ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी देशभर में एक ही बार में चुनाव हो जाएं. यह सुझाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा था. उस विचार को आगे बढ़ाने की कोशिश बीजेपी लगातार कर रही है. लोकसभा विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने को लेकर संसदीय समिति में चर्चा हुई, लेकिन आम राय नहीं बन पाई है. खासकर विपक्ष ने प्रस्ताव पर कई सवाल खड़े किए हैं.

विपक्ष का कहना है कि अलग-अलग राज्यों में अलग राजनीतिक हालात हैं. ऐसे में एक साथ चुनाव व्यवहारिक नहीं है. न्यायिक मामलों से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने इस मसले पर एक खुली चर्चा की. बीजेपी की ओर से यह इशारा भी दिया गया कि इस तरफ ये पहला ही कदम है. आने वाले हफ्तों में और भी पक्षों को विचार रखने के लिए बुलाया जाएगा. Legislative विभाग ने सलाह दी कि साथ चुनाव कराने पर संविधान में जटिल संशोधन करने होंगे. विपक्ष की तरफ से अभी तक मिल रही प्रतिक्रियाओं पर गौर करें तो बीजेपी के लिए यह आसान नहीं होगा. इसके लिए कई संशोधन भी करने होंगे.

इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने एनडीटीवी से कहा था, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर हम पीएम मोदी को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे. हम इस मुद्दे से जुड़े हर मुद्दे पर पीएम को रिपोर्ट देंगे.’ दरअसल पिछले हफ्ते ही पीएम मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात में कहा था कि वन नेशन, वन इलेक्शन की सोच को आगे बढ़ाना ज़रूरी है.

विनय सहस्रबुद्दे का दावा था कि इस प्रस्ताव से खर्च बचेगा और विकास के काम में रुकावटें नहीं आएंगी. लेकिन कांग्रेस ने इस सोच को खारिज कर दिया था. पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा, ‘इस प्रस्ताव को देश में अभी लागू करना संभव नहीं होगा. भारत एक संघीय लोकतंत्र है, कोई एकात्मक राज्य नहीं. अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं, एक साथ चुनाव कराना मुमकिन नहीं होगा.’

लेफ़्ट ने भी इसको ख़ारिज कर दिया था. सीपीएम नेता बृंदा करात ने एनडीटीवी से कहा था, ‘सीपीएम इस सोच के खिलाफ है. हर राज्य के अपने चुनावी कार्यक्रम होते हैं और किसी भी विधान सभा के कार्यकाल को काट कर वहां लोकसभा के साथ चुनाव कराना ग़लत होगा.’