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ममता बनर्जी से लड़ने के लिए BJP ने जिससे की थी दोस्ती, उस दल ने छोड़ा साथ

कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का कुनबा लगातार कम होता जा रहा है. पश्चिम बंगाल में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने बीजेपी से दोस्ती तोड़ने के साथ एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी है. इससे पहले तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था. जीजेएम ने बीजेपी पर गोरखाओं को धोखा देने का आरोप लगाया है. शनिवार को जीजेएम के सांगठनिक प्रमुख एलएम लामा ने कहा कि उनकी पार्टी का एनडीए से अब कोई रिश्ता नहीं है. कहा जा रहा है कि जीजेएम ने पश्चिम बंगाल बीजेपी इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से नाराज होकर यह कदम उठाया है.

पश्चिम बंगाल में TMC से लड़ाई में BJP को होगा नुकसान?
नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में मिली सफलता के बाद बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी अपनी ताकत बढ़ाने की जुगत में है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चाहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां से उनकी पार्टी के सांसदों की संख्या बढ़े. इसके लिए खुद शाह पश्चिम बंगाल के कई दौरे कर चुके हैं.

बीजेपी चाहती है कि पश्चिम बंगाल में वामदलों के कमजोर होने के बाद खाली हुए राजनीतिक शून्यता में वे विकल्प के तौर पर उभरें. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई के लिए बीजेपी यहां के छोटे-छोटे दलों से गठबंधन की रणनीति पर चल रही है. इसी कड़ी में बीजेपी ने जीजेएम से दोस्ती की थी, लेकिन चुनाव से एक साल पहले ही दोनों दलों की दोस्ती टूट गई है.

गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि उनकी पार्टी का जीजेएम के साथ किसी साझे राजनीतिक संकल्प को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है, बल्कि यह महज चुनावी गठजोड़ है. लामा ने कहा कि घोष के बयान से पता चलता है कि बीजेपी गोरखाओं की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है. गौरतलब है कि गोरखा समुदाय पश्चिम बंगाल के पहाड़ी हिस्से को अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग कर रहा है.

मालूम हो कि हाल के कुछ महीनों में कई दल बीजेपी से दोस्ती तोड़ चुके हैं. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग पूरी नहीं होने पर यहां की सत्ताधारी टीडीपी ने बीजेपी से दोस्ती तोड़ी है. वहीं बिहार में जीतन राम मांझी की अगुवाई वाली पार्टी हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (HAM) भी एनडीए से अलग हो गई है. महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी शिवसेना ने भी ऐलान कर दिया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी से अलग मैदान में उतरेगी.