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पंजाब: बॉर्डर के गांवों पर संकट, पार्टियां मौका भुनाने में जुटीं

punjab-border-village-afpअटारी। वाघा-अटारी बॉर्डर के अंतिम छोर पर बसे गांव रोरनवालां खुर्द के किसी भी उम्रदराज व्यक्ति से बात करें तो वह कहते हैं कि सीमा पर से लोगों को हटाना सिर्फ एक धोखा है और यह सब राजनीति से प्रेरित है। ये लोग 1965, 1971 और करगिल युद्ध के समय से वहां रह रहे हैं। 90 साल की उम्र छू रहे रिटायर्ड आर्मी जवान बचित्तर सिंह कहते हैं, ‘कोई आर्मी मूवमेंट नहीं है, कोई काफिला नहीं है और न ही इस इलाके में सैनिक गश्त कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं सेना में रहा हूं और मैंने युद्ध की तैयारियां देखी हैं। युद्ध कभी इस तरह नहीं होता।’ पंजाब में असेंबली इलेक्शन से पहले सत्ता विरोधी रुझान का सामना कर रहा शिरोमणि अकाली दल और ज्यादा असहज स्थिति नहीं झेल सकता। अब तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी इस मुद्दे पर सरकार के विरोध में माहौल बना रही हैं। बचित्तर सिंह कहते हैं, ‘मैं सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े नहीं कर रहा, लेकिन यह सच है कि SAD-BJP ने हमारी कीमत पर इसे भुनाने की कोशिश की है।’

पिछले हफ्ते हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर खुशी तो मनाई जा सकती है, लेकिन पंजाब की सीमा पर बसे गांवों के लोगों को अपने घरबार और खेत-खलिहान छोड़कर जाना पड़ा है। बॉर्डर पर तनाव बढ़ने से रिहायशी इलाकों को खाली कराने के आदेश ने हजारों गांव वालों को परेशानी में डाल दिया है। खेती और उसमें लगे दिहाड़ी मजदूरों का सब कुछ दांव पर लग चुका है। युद्ध की आशंका दो जून की रोटी के लिए जूझ रहे लोगों को रास नहीं आती।
इन गांव वालों के लिए बॉर्डर पर टेंशन कोई नई बात नहीं क्योंकि सालों साल से वे इस इलाके में दो देशों के बीच का तनाव देखते आ रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के लोग गांव छोड़कर आए लोगों के बीच पहुंच रहे हैं और इस पूरे इलाके में सियासी फायदा उठाने के मौके बन आए हैं। राज्य में चुनाव का माहौल है और सियासी गुणा-गणित होना बड़ी बात नहीं। कैंपों में रह रहे गांव वालों के बीच पहुंचने वाले विधायकों, नेताओं में SAD-BJP आगे है।

बॉर्डर के रिहायशी इलाकों को खाली कराने के दौरान अकाली दल और बीजेपी के उन नेताओं की गतिविधियों पर गांव वाले सवाल खड़ा कर रहे हैं, जो पहले नजर भी नहीं आते थे। इन्हीं में से एक कुलविंदर कौर कहती हैं, ‘नेता आ रहे हैं और भाषण से ज्यादा कुछ नहीं दे रहे। हमारे संकट के समय में भी उन्हें सिर्फ वोट की चिंता है।’

खराब सड़कों, बड़ी संख्या में युवाओं की बेरोजगारी, बॉर्डर के गांवों में खराब बुनियादी इंतजाम के रहते हुए भी सियासतदां इन गांव वालों को सिर्फ वोट के तौर पर देखते हैं और इससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं समझते। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े मामले पर राजनीति करने के लिए पूरे विपक्ष को लताड़ लगाई है।

बादल ने कहा, ‘जब देश पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, तो ऐसे संकट के समय में भी कुछ नेता लगातार राजनीति कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राजनीति के लिए आगे कई मौके आएंगे, लेकिन संकट के इस समय में देश और खासकर पंजाब के हित में नेताओं को इससे बचना चाहिए।’