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दिल्ली NCR में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि पराली जलाने के वैकल्पिक उपकरणों का इस्तेमाल जमीनी स्तर पर हो

सुप्रीम कोर्ट  ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि इसने पराली जलाने से रोकने के लिए अपने ही निर्देशों को लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया। सीएक्यूएम ने पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं चलाया है। न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका ने कहा कि किसी भी कारण से कोई भी सीएक्यूएम के आदेशों के उल्लंघन के लिए लोगों पर मुकदमा नहीं चलाना चाहता। सब जानते हैं कि चर्चा के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। यही इसकी कड़वी सच्चाई है।

एसजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कृपया इसे 16 तारीख को रखें क्योंकि तब हम हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। रजिस्ट्री भी बंद हो जाएगी। जिस पर जज ने कहा कि ठीक है हम इसे 16 तारीख को रखेंगे। इससे पहले 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता की निगरानी और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रहने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता पैनल को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से प्रदूषण और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा। न्यायालय ने प्रदूषण और पराली जलाने के मामले से निपटने के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि उसे और अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि पराली जलाने के वैकल्पिक उपकरणों का इस्तेमाल जमीनी स्तर पर हो। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग प्रदूषण और पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गएकदमों को लेकर बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करे।  अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह यह नहीं कह सकता कि आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह, जो न्यायालय की सहायता कर रही हैं, से सहमत है कि आयोग ने अपेक्षित तरीके से काम नहीं किया है।