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दिल्ली को नहीं देंगे पानी, अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब का पक्ष लेने पर हरियाणा ने दी चेतावनी

sutlej-yamunaचंडीगढ़। पंजाब सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है कि सतलुज-यमुना लिंक नहर पर यथास्थिति बरकरार रखी जाए। वहीं इस मामले को लेकर पंजाब और हरियाणा की सियासत गरमाई हुई है। आज यह सियासत दोनों राज्यों की सीमा लांघ गई जब हरियाणा के इंडियन नेशनल लोकदल के विधायकों ने पंजाब विधानसभा के सामने जाकर प्रदर्शन किया जबकि पंजाब के विधायक विरोध प्रदर्शन करने हरियाणा विधानसभा पहुंच गए। पंजाब ने हरियाणा को पानी देने से मना कर दिया है और हरियाणा ने दिल्ली को पानी देने से मना कर दिया है।

सीएम केजरीवाल को खत लिखकर पानी देने के लिए मना किया
हरियाणा के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली को पानी की सप्लाई रोकने की बात कही है। अपने पत्र में धनखड़ ने केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि पंजाब चुनाव में अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते अरविंद केजरीवाल न हरियाणा के लोगों के हितों के खिलाफ बात कही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा अपने नहरों से दिल्ली को पानी देता है और हरियाणा की पानी की लड़ाई में केजरीवाल पंजाब के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। धनखड़ ने कहा है कि समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार, केजरीवाल ने एसवाईएल के निर्माण की अवधारणा को गलत ठहराया है।  धनखड़ का दावा है कि दिल्ली को पानी पहुंचाने के लिए हरियाणा को अपने हिस्से का पानी छोड़ना पड़ता है।

पंजाब सरकार ने हरियाणा की रकम लौटाई
वहीं पंजाब सरकार ने सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर हरियाणा से मिली सारी रकम को वापस करने का फैसला किया है। पंजाब सरकार ने इसके लिए 191 करोड़ 75 लाख रुपये का चेक हरियाणा सरकार को भेज दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को लिखे एक खत में उन्हें अपनी कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी। इसी के साथ पंजाब कैबिनेट अकाली दल बीजेपी सरकार का यह वादा भी दोहराया कि वह नदियों के पानी पर अपने हक का एक बूंद पानी भी हरियाणा को नहीं देंगे।

हरियाणा से पानी साझा करने की मना
खत के मुताबिक, पानी पंजाब की जीवनरेखा है और इसे किसी के साथ साझा करने का सवाल भी पैदा नहीं होता। पंजाब की नदियों को लेकर अन्याय किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। इसी सोमवार को पंजाब सरकार ने राज्य विधानसभा में एक बिल पास कर उन सभी लोगों को चार हज़ार एकड़ ज़मीन वापस करने का फ़ैसला किया था, जिनकी ज़मीन सतलुज यमुना नहर को बनाने के लिए ली गई थी। उस समय हरियाणा सरकार ने इस ज़मीन के मालिकों को मुआवज़ा दिया था। पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी बंटवारे का विवाद सालों पुराना है।

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई
इसी हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के Punjab Termination of Agreements Act की वैधता पर सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा सरकार की ओर से सतलुज यमुना लिंक नहर से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई शुरू की। इस पर 12 साल से राष्ट्रपति की अनुमति का इंतज़ार था। पंजाब और हरियाणा सतलुज यमुना नहर के पानी के बंटवारे को लेकर सालों से भिड़े हुए हैं। 2004 में पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पड़ोसी राज्यों के साथ नदी जल बंटवारे के समझौते को इकतरफ़ा तरीके से रद्द कर दिया था और दूसरे राज्यों ख़ासतौर पर हरियाणा को पानी देने से इनकार कर दिया था। इसी के बाद इस मुद्दे पर presidential reference मांगा गया। सतलुज यमुना लिंक नहर का एक बड़ा हिस्सा 1990 तक पूरा कर लिया गया था। इस लिंक से पंजाब की सतलुज और हरियाणा की यमुना नदी को जोड़ा जाना था।

जानें क्या है पूरा मामला
– 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के साथ विवाद शुरू
– 24 मार्च, 1976 – केंद्र सरकार का पानी बंटवारे का नोटिफिकेशन
– सतलुज, रावी और ब्यास नदी के पानी का बंटवारा होना था
– पंजाब ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
– 31 दिसंबर, 1981 – पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली
– मुद्दा राजनीतिक हुआ, अकाली दल ने फ़ैसले के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला
– 8 अप्रैल, 1982 – इंदिरा गांधी ने नहर की नींव रख दी
– पंजाब में आतंकवादियों ने भी इसे मुद्दा बनाया
– 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता
– 1990 तक 750 करोड़ रुपये की लागत से नहर का एक बड़ा हिस्सा तैयार
– 15 जनवरी, 2002 – पंजाब को नहर का बाकी हिस्सा बनाने का निर्देश
– 2004 में पंजाब टर्मिनेशन ऑफ़ एग्रीमेंट्स एक्ट 2004 पास
– पंजाब सरकार के फ़ैसले को यूपीए सरकार ने राष्ट्रपति की राय के लिए भेजा
– राष्ट्रपति ने ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के पास भेजा
– हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई के लिए कहा
– इस मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है
– पंजाब कैबिनेट ने नहर पर खर्च हरियाणा का पैसा लौटाने का फ़ैसला किया
– जिन लोगों की ज़मीन ली गई उन्हें ज़मीन लौटाने का फ़ैसला