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गिरफ्तार माओवादी नेताओं के पास ‘अथाह संपत्ति,’ खरीदते थे जमीन

Naxal2कोलकाता। माओवादी नेताओं बिकाश और तारा की गिरफ्तारी के बाद इस मामले की जांच कर रहे कोलकाता पुलिस के विशेष टास्क फोर्स (STF) का दावा है कि इन दोनों के पास अथाह संपत्ति है। दोनों माओवादी अपने पैसे का इस्तेमाल कर बंगाल के कई जिलों में जमीन खरीद रहे थे। पुलिस का कहना है कि सीताराम भाईजी उर्फ प्रोलॉय अब बंगाल में माओवादी गतिविधियों का सरगना है। पुलिस बिकाश और तारा से पूछताछ कर मदन महतो जैसे अहम माओवादी नेताओं के बारे में जानकारी जमा करने की कोशिश कर रही है। पुलिस इन दोनों से जयंतो और रंजीत पाल द्वारा चलाए जा रहे दस्ते के बारे में भी जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संयुक्त सुरक्षा बल को इन माओवादी नेताओं की मौजूदगी के बारे में सतर्क किया गया था। कहा गया था कि ये माओवादी बुरीसोले और काशी के जंगलों में छुपे हो सकते हैं। जांचकर्ताओं का कहना है कि बिकाश और तारा साल 2011 के बाद से किसी सशस्त्र ऑपरेशन में शामिल नहीं हुए थे। 2011 में ये दोनों बंगाल सीमा के पास झारखंड में बस गए थे। बिकाश पहले की मुठभेड़ों के दौरान माओवादियों द्वारा सुरक्षा बलों से छीने गए हथियारों और बारूद का प्रभारी था। ऐसे में वह माओवादी राज्य सैन्य कमिशन का सचिव था। वह अक्सर बंगाल आता-जाता रहता था। इसके बाद झारखंड के डालमा इलाके में सुरक्षा बलों के जबरदस्त ऑपरेशन के बाद उसे और अन्य माओवादियों को मजबूर होकर बंगाल भागना पड़ा।

बताया जा रहा है कि बिकाश ने कोलकाता में रहने वाले एक माओवादी नेता और हुगली में रहने वाले एक अन्य माओवादी नेता से मोगरा पुलिस थाने के पास जमीन मुहैया कराने में मदद मांगी थी। यहीं पर दोनों पति-पत्नी काम किया करते थे। तारा जहां एक मार्बल कंपनी में मजदूरी का काम करती थी, वहीं बिकाश पत्थर तोड़ने का काम करता था। दोनों ने अपना नाम सुदीप टुडु और मोनिका टुडु बताया था। जांचकर्ता अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बिकाश और तारा कुल कितने मामलों में शामिल थे।

एक जांच अधिकारी ने बताया, ‘हमने अभी तक उनके ऊपर UAPA के तहत मामला दर्ज नहीं किया है, लेकिन जैसे ही उनकी पुलिस हिरासत की अवधि खत्म होती है वैसे ही हम इस मसले पर कानूनी परामर्श लेंगे। फिलहाल हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि हुगली स्थित उसके घर से जो AK-47 बरामद हुई, वह उनके पास कैसे पहुंची।’

पुलिस का कहना है कि उनके पास इस बाबत सबूत हैं कि बिकाश की बाइक का इस्तेमाल तारा और अन्य माओवादी नेताओं द्वारा किया गया और इसी बाइक से उन्होंने संकरेल के अधिकारी अतिंद्रनात दत्त का अपहरण किया। अक्टूबर 2009 में दत्त का अपहरण करने से पहले उनके 2 सहयोगियों की हत्या कर दी गई थी और उनके हथियार भी लूट लिए गए थे। दत्त को 2 दिनों तक माओवादी नेता किशनजी ने बंधक बनाकर रखा और बाद में माओवादी संपर्क के संदेह पर गिरफ्तार की गईं 15 महिलाओं को जमानत दिए जाने के बदले दत्त को रिहा किया गया।

कई मामलों में पुलिस को बिकाश की तलाश थी। इनमें संकरेल, गोलतोरे, लालगढ़ और सारेंगा में केंद्रीय सुरक्षा बलों, पुलिस और ग्रामीणों पर हमले की कई घटनाएं भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि बिकाश के घर से बरामद AK-47 उन हथियारों में से एक हो सकती है, जिन्हें फरवरी 2010 में पूर्वी फ्रंटियर राइफल्स के सिलदा कैंप पर हमला करके लूटा गया था। इस हमले में 24 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। उस मामले में भी पुलिस बिकाश का नाम मुख्य आरोपियों में शामिल कर सकती है।